दुर्ग
उतई, 27 दिसंबर। एनसीईआरटी, श्याममाला हिल्स (भोपाल) में छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की पारंपरिक खिलौने की कार्यशाला 15 से 19 दिसंबर तक चली, जिसमें छात्र-छात्राओं ने बढ़-चढक़र हिस्सा लिया।
यहां छत्तीसगढ़ की पारंपरिक मटपरई शिल्पकला के मास्टर ट्रेनर अभिषेक सपन के मार्गदर्शन में छात्र-छात्राओं ने लगन व जुनून के साथ सीखा व समझा, साथ ही अभिषेक ने छत्तीसगढ़ के तीज त्योहार और परंपराओं को बड़ी बारीकियां से छात्र-छात्राओं को बताते हुए कार्यशाला में अपना बहुमूल्य योगदान दिया। इस कार्यशाला में बालोद, खैरागढ़, मोहला मानपुर, महासमुंद, नारायणपुर शिल्पकार छत्तीसगढ़ की पारंपरिक खिलौने बनाने की शिक्षा दी।
कार्यशाला में मुख्य रूप से कार्यक्रम समन्वयक डॉ सुरेश मकवाना , स्त्रोत शिक्षक के रूप डॉ रामकुमार वर्मा ,स्वाति अर्णव, डॉ मोनिका सिंह, द्रोण साहू,मुख्य रूप से मौजूद रहे।
ज्ञात हो कि मटपरई शिल्प कला मिट्टी और कागज को मिलाकर पारंपरिक रूप से कलाकृति व टोकरी छत्तीसगढ़ में बनाया जाता रहा है, जो आधुनिकता के चलते विलुप्त प्राय हो गई है, जिसे डुमरडीह उतई दुर्ग निवासी अभिषेक सपन ने संरक्षण व संवर्धन हेतु निरंतर कार्यशाला व प्रदर्शनी के माध्यम से आगे बढ़ाने की कोशिश कर रहे हंै।


