दुर्ग

सांसद बघेल ने जनजातीय गौरव दिवस का संदेश किया वाचन
16-Nov-2025 9:20 PM
सांसद बघेल ने जनजातीय गौरव दिवस का संदेश किया वाचन

जनजातीय समुदायों की परंपराओं में प्रकृति के प्रति गहरा सम्मान निहित है- बोरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 16 नवंबर।
भगवान बिरसा मुण्डा की 150वीं जयंती को जनजातीय गौरव दिवस के रूप में  भिलाई स्थित महात्मा गांधी कला मंदिर ऑडिटोरियम में श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया।

 कार्यक्रम का शुभारंभ छत्तीसगढ़ महतारी व भगवान बिरसा मुण्डा के छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर किया गया। सांसद विजय बघेल के मुख्य आतिथ्य में आयोजित इस समारोह में दुर्ग जिला प्रभारी सचिव सोनमणि बोरा, विधायक वैशाली नगर रिकेश सेन, रिसाली महापौर शशि सिन्हा, योग आयोग अध्यक्ष रूपनारायण सिन्हा, पुरूषोत्तम देवांगन, एस.के. मरकाम, संभागायुक्त सत्यनारायण राठौर, कलेक्टर अभिजीत सिंह, वनमण्डाधिकारी दीपेश कपिल सहित आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधिगण, स्कूली बच्चे, शिक्षक, विभागीय अधिकारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।

श्री बघेल एवं अन्य अतिथियों ने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए विभागीय प्रदर्शनी का अवलोकन भी किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती पर गुजरात से राष्ट्र को संबोधित किया, जिसकों वर्चुअल माध्यम से प्रदर्शित किया गया। कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि सांसद विजय बघेल ने मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा भेजे गए जनजातीय गौरव दिवस के संदेश का वाचन किया।

कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए सचिव आदिम जाति विकास विभाग एवं दुर्ग जिला प्रभारी सचिव श्री सोनमणि बोरा ने कहा कि 15 नवंबर 1875 को झारखंड के उलीहातू गांव में जन्मे आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती आज पूरे प्रदेश में मनाया जा रहा है। भगवान बिरसा मुंडा आदिवासी समाज के एक महान वीर, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे। स्वतंत्रता संग्राम में अनेक नायकों ने अपना अमूल्य बलिदान दिया।

छत्तीसगढ़ से वीर नारायण सिंह, गेंद सिंह और गुण्डाधुर जैसे वीरों ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ नेतृत्व किया। आदिवासी संस्कृति से सीख लेने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। जनजातीय समुदायों की परंपराओं में प्रकृति के प्रति सम्मान और गहरी भावना दिखाई देती है। जैसे कि धान की कटाई के समय पहली फसल को कुल देवता को समर्पित करने की परंपरा। यह प्रकृति और आस्था के प्रति कृतज्ञता की मिसाल है। आने वाली पीढिय़ों को इन परंपराओं और आदिवासी नायकों के शौर्य व बलिदान को समझने और उनसे प्रेरणा लेने की जरूरत है।

भगवान बिरसा मुंडा ने न केवल सामाजिक और धार्मिक सुधारों पर कार्य किया बल्कि आदिवासियों के जल, जंगल और जमीन की रक्षा के लिए संघर्ष का नेतृत्व किया। केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं से आज लाखों जनजातीय परिवार लाभान्वित हो रहे हैं, जिनमें स्वास्थ्य, शिक्षा, पेयजल, आवास और आजीविका से जुड़ी योजनाएं शामिल हैं। हमारे प्रधानमंत्री ने भगवान बिरसा मुंडा की जयंती को ‘जनजातीय गौरव दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया। जनजातीय समुदायों के उत्थान के लिए केंद्र और राज्य सरकार द्वारा अनेक योजनाएं लागू की हैं। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के निर्माण में जनजातीय समाज की महत्वपूर्ण भूमिका होगी।

कलेक्टर अभिजीत सिंह ने आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान को याद किया। स्वतंत्रता सेनानियों ने देश को आजाद कराने के लिए अविस्मरणीय योगदान दिया। उनके विद्रोहों और आंदोलनों के प्रभाव से ही छोटानागपुर टेनेंसी एक्ट पारित हुआ, जिसने आदिवासियों की भूमि पर उनके अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की। आदिवासी समाज प्रमुख एस. के. मरकाम ने अपने उद्बोधन में कहा कि भगवान बिरसा मुंडा कम उम्र में ही भगवान बन गए।
उन्होंने आदिवासियों के उत्थान के लिए अनेक कार्य किए। उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि आज भी आदिवासी समाज उन्हें ‘धरती आबा’ (पृथ्वी के पिता) के रूप में पूजता है। योग आयोग के अध्यक्ष रूपनारायण सिन्हा ने प्रदेश के युवाओं से आव्हान किया कि वे भगवान बिरसा मुंडा के आदर्शों और साहस से प्रेरणा लें और राष्ट्र के विकास में अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं। समारोह को विधायक  रिकेश सेन ने भी संबोधित किया।


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