दुर्ग
महाराष्ट्र के किसान प्रतिनिधि भी हुए शामिल हुए
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दुर्ग, 13 अक्टूबर। हर साल की तरह इस साल भी छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन ने किसान महापंचायत का आयोजन धमधा ब्लाक के बोरी गांव में किया जिसमें जिला भर से सैकड़ों किसान प्रतिनिधि शामिल हुए।
अमरावती महाराष्ट्र से किसान संगठन के प्रतिनिधि मंडल भी किसान नेता श्रीकांत तराल के नेतृत्व में किसानों के महापंचायत में शामिल हुए। छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के किसान महापंचायत में किसान, कृषि और किसानों की समस्याओं पर विचार-विमर्श किया गया। किसान प्रतिनिधियों ने बताया कि इस बार किसानों को खाद और बिजली की समस्याओं का सामना करना पड़ा है, समितियों में यूरिया और डीएसपी की उपलब्धता न होने के कारण निजी कृषि केंद्रों से मनमाने दामों में खाद खरीदने के लिए विवश होना पड़ा जिसके कारण खेती की लागत में वृद्धि हुई है।
किसानों ने बताया कि पिछले 3 साल से राज्य सरकार ने धान की कीमत में कोई वृद्धि नहीं किया है जबकि राज्य में हर साल बाजार की मंहगाई में 6 से 7 फीसदी की वृद्धि हुई है। साल 2023 में सरकार ने किसानों का धान प्रति क्विंटल 3100/- के भाव से खरीदा था और 2025 में भी सरकार किसानों का धान इसी स्थिर भाव में ही खरीदने वाली है। महापंचायत में मांग की गई है कि हर साल बढ़ती मंहगाई के अनुसार धान के भाव में 6 से 7 फीसदी की वृद्धि किया जाना चाहिए। वायदा के अनुसार धान खरीद करने से बचने के लिए सरकार ने खाद और बिजली का जानबूझकर संकट खड़ा किया है।
महापंचायत में किसानों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि वायदा के अनुसार किसानों का धान खरीद करने से बचने के लिए इस साल जानबूझकर बिजली और खाद का कृत्रिम संकट खड़ा किया है, ताकि किसान हतोत्साहित हो और धान के उत्पादन और उत्पादकता कम हो। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की चर्चा करते हुए किसानों ने कहा कि योजना में बीमित राशि को कृषि कर्ज की राशि के बराबर सीमित रखा गया है।
इसी प्रकार प्रति एकड़ मानक उत्पादन थ्रेशोल्ड वेल्यू को वास्तविक उत्पादन के आधा तक ही सीमित रखा गया है। इससे उत्पादन में कमी होने की स्थिति में कृषि कर्ज की वसूली की गारंटी मिल जाती है, लेकिन किसानों को कोई लाभ नहीं मिल पाता है। सरकार स्वयं प्रति एकड़ 21 क्विंटल की दर से धान खरीदी करती है। इस प्रकार थ्रेशोल्ड वेल्यू को बढ़ाकर प्रति एकड़ कम से कम 20 क्विंटल और बीमित राशि को बढ़ाकर प्रति एकड़ 60 हजार रुपए किया जाना चाहिए।
किसानों ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि इस साल असामान्य बारिश हुई है, मौसम भी प्रतिकूल रहा है जिसके कारण फसलों के सामान्य उत्पादन पर विपरीत प्रभाव पड़ा है। फसलों में अनेक बीमारियों का सामना करना पड़ा है और दवाईयों पर अतिरिक्त खर्च भी करना पड़ा है, जिसकी भरपाई सरकार को करना चाहिए। इसके अलावा अनियंत्रित पशुओं द्वारा फसलों की चराई पर भी चर्चा हुई है, प्रति दिन 6 घंटा की बिजली कटौती पर भी चर्चा हुई। किसानों की महापंचायत में किसान नेताओं ने कहा कि किसानों में एकता, संगठन और एकजुट संघर्ष से ही समस्याओं का हल हो सकता है, प्रभावित किसानों को पहले अपने-अपने क्षेत्र के निर्वाचित विधायकों/सांसदों को समस्या की जानकारी देना चाहिए निदान न होने पर निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ और शासन/प्रशासन के खिलाफ संगठित आंदोलन करना चाहिए।
छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के बोरी किसान महापंचायत में निर्णय लिया गया है कि विदर्भ, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के किसान संगठनों को एकजुट करके क्षेत्रीय संयुक्त किसान महासंघ गठन किया जाएगा क्योंकि चारों राज्यों में किसानों, कृषि और किसानी की समान समस्या है इसलिए सरकारों के खिलाफ संघर्ष में सौदे की शक्ति बढ़ाई जा सके। इसके अलावा राज्य के समस्त सहकारी समितियों में एक कृषि की नियुक्ति करने की मांग की गई है ताकि फसलों में बीमारी आ जाने की स्थिति में उनकी राय लेकर किसान उचित दवा का उपयोग करके फसलों की समय पर रक्षा कर सके।


