दन्तेवाड़ा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 31 अक्टूबर। कृषि उत्पादन आयुक्त, शहला निगार नें संभाग स्तरीय समीक्षा बैठक संयुक्त जिला कार्यालय, दंतेवाड़ा में गुरुवार को ली। खरीफ समीक्षा और आगामी रबी की तैयारी की कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए। उन्होंने विगत रबी सत्र की तुलना में आगामी रबी सत्र के कार्ययोजना का प्रभावी क्रियान्वयन पर जोर दिया। आयुक्त ने दलहन तिलहन फसलों का रकबे में बढ़ोतरी किए जाने की नियमित समीक्षा के निर्देश सभी कलेक्टरों को दिए।
विकसित बस्तर की अवधारणा को साकार करने के लिए कृषि क्षेत्र सहित आनुषांगिक सेक्टरों की अहम भूमिका है। यह बस्तर के समग्र विकास की धुरी है। इसे मद्देनजर रखते हुए मक्का एवं मिलेट्स फसलों, दलहन-तिलहन फसल क्षेत्र विस्तार, मसाला फसलों के रकबा विस्तार के लक्ष्य को हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करें। बस्तर में जैविक खेती की अपार संभावनाओं को देखते हुए प्रोत्साहित किया जाए। बस्तर के अनुकूल वातावरण का लाभ दिलाने कॉफी एवं पाम ऑयल की खेती को बढ़ावा दिया जाए। वहीं पशुपालन, मत्स्यपालन और झींगापालन के लिए व्यापक स्तर पर पहल किया जाए।
कृषि उत्पादन आयुक्त शहला निगार ने बस्तर के किसानों के बीज की मांग को स्थानीय स्तर पर पूर्ति करने के लिए बीज उत्पादन कार्यक्रम से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति वर्ग के कृषकों सहित महिला कृषकों को प्रोत्साहन देने के निर्देश दिए। इन वर्गों के किसानों को बीज प्रमाणीकरण पंजीयन शुल्क से छूट प्राप्त है, इसलिए बीज उत्पादन कार्यक्रम से उक्त वर्ग के किसानों को ज्यादा से ज्यादा जोडऩे पहल करें। इन्हें बीज एवं अन्य आदान सामग्री की उपलब्धता सहित प्रशिक्षण दिया जाए। दंतेवाड़ा जैविक जिला होने के कारण स्थानीय स्तर पर ही बीज उत्पादन कर उपयोग किया जाए। उन्होंने रबी फसल सीजन में भी धान के रकबा में कमी लाने के लिए निर्धारित लक्ष्य को हासिल करने हेतु कार्ययोजना के अनुसार कोदो-कुटकी एवं रागी मिलेट्स सहित दलहन-तिलहन फसलों की खेती को बढ़ावा देने कहा। इस दिशा में मक्का की खेती को प्रोत्साहित करनें के निर्देश दिए।
बस्तर होगा पाम तेल का केंद्र
शहला निगार नें बस्तर में जैविक खेती की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत कहा कि बस्तर की भूमि की उर्वरता और वातावरण जैविक खेती के लिए अनुकूल है।
इसलिए किसानों को जैविक खेती करने के लिए प्रोत्साहित करें और उन्हें हरसंभव मदद सुलभ की जाए। उन्होंने नेशनल मिशन आन नेचुरल फार्मिंग के लिए भी बस्तर को उपयुक्त निरूपित करते हुए इस दिशा में तैयार कार्ययोजना का क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए। साथ ही कलस्टर के आधार पर सम्पूर्ण चयनित क्षेत्र के मृदा परीक्षण करने सहित मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदाय करनें कहा। कृषि उत्पादन आयुक्त ने पांच वर्ष के भीतर की विभिन्न किस्मों के रकबा विस्तार के लिए भी प्राथमिकता के साथ क्रियान्वयन करने के निर्देश दिए।
पाम ऑयल केंद्र होगा बस्तर
आयुक्त ने नेशनल मिशन आन एडिबल ऑयल की कार्ययोजना को व्यापक स्तर पर क्रियान्वयन करने पर बल देते हुए कहा कि बस्तर के उच्चहन भूमि तथा अनुकूल जलवायु पाम ऑयल की खेती के लिए अनुकूल है। किसान पाम की खेती के साथ इंटर क्रॉपिंग भी कर सकते हैं। साथ ही साग-सब्जी की खेती को भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। भविष्य में खाद्य तेल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए बस्तर में ऑयल पाम की खेती को प्रोत्साहन दिया जाए। इस दिशा में क्लस्टर बनाकर किसानों का चयन कर उन्हें प्रत्येक सुविधा दी जाए। उन्होंने कहा कि बस्तर में ऑयल पाम के पर्याप्त उत्पादन के पश्चात पाम ऑयल तैयार करने के लिए प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना भी प्रस्तावित है।
दलहन की खेती को दें बढ़ावा
उन्होंने दलहन फसलों की खेती को प्रोत्साहित किए जाने की आवश्यकता बताई। प्रधानमंत्री आशा योजना अतर्गत उड़द, मसूर और मूंग दालों का उपार्जन किया जा रहा है। किसानों को इस दिशा में प्रोत्साहित करें। बैठक में संचालक कृषि राहुल देव, संचालक, पशुपालन चन्द्रकांत वर्मा, प्रबन्ध संचालक, बीज विकास निगम अजय अग्रवाल, संचालक मत्स्यपालन, नारायण नाग सभी जिले के सीईओ प्रमुख रूप से मौजूद थे।


