दन्तेवाड़ा

लाल पानी की समस्या व स्थानीय भर्ती को लेकर एक दिनी धरना
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बचेली, 28 सितंबर। एनएमडीसी की लाल पानी से हो रही समस्या का मुद्दा एक बार फिर उठ रहा है। जिसे लेकर आदिवासी ग्रामीणों ने एनएमडीसी का घेराव किया है। दरअसल बस्तर राज मोर्चा के बैनर तले सैकड़ों आदिवासियों ने शनिवार को एनएमडीसी बचेली के सीआईएसएफ चेकपोस्ट का घेराव कर धरना दिया।
बस्तर राज मोर्चा के जिला प्रभारी सुदरू कुंजाम ने बताया कि ज्वलंत मुद्दों व मंागों को लेकर एक दिवसीय धरना दिया जा रहा है, साथ ही एनएमडीसी के सीएमडी के नाम ज्ञापन बचेली परियोजना के प्रमुख को भी दिया गया है ताकि हमारी मांगों को गंभीरता से ले और तत्काल हल करने की कार्रवाई करें। जानकारी के अनुसार इस घेराव के कारण प्रथम पाली के कर्मचारी अपने कार्यस्थल पर नही जा सके, जिससे एनएमडीसी का उत्पादन प्रभावित रहा।
सुदुरू ने बताया कि लाल पानी की समस्या का हल नही हुआ है। बैलाडिला पहाड़ के पश्चिम में 40 से 50 गांव खदान उत्खनन व लाल पानी प्रदूषण से पीडि़त है। इन प्रभावित गांवों को अब तक सर्वे नहीं हो पाया है। कुछ भी मूलभूत सुविधाएं गांव में नहीं है। सर्वे तत्काल करायी जाय और अब तक हुए नुकसान की भरपाई की जाए। पहाड़ के पूर्वी भाग में प्रभावित गांवों को लोगों को भी लाल पानी के प्रभाव को सही से सर्वे नहीं हुआ है, जिसके कारण सैकड़ो परिवार क्षतिपूर्ति पाने से वंछित है। लाल पानी से पशु भी बुरी तरह प्रभावित हो रहे है, असमय उनकी मौत हो जाती है।
एनएमडीसी में स्थानीय उम्मीदवारों को भर्ती में लेने की मंाग अक्सर किया जाता है। वर्ष 2008-09 में विशेष भर्ती के तहत वही के लोगो केा लिया गया था, उस समय की परिस्थिति भी विशेष थी एनएमडीसी प्रबंधन को मजबूर होकर ऐसी भर्ती करनी पड़ी थी, लेकिन उसके बाद जितनी भी भर्तियां हुई, उसमें बस्तर के स्थानीय उम्मीदवारों को पूरी तरह नजर अंदाज़ कर दिया गया। ये केवल खलासी पदों की भर्तियों की बात कर रहे हैं, उच्च पदों पर तो यहां के लोगों को लिया ही नहीं जाता है। अभी बस्तर के मूल निवासी समुदायों में काफी इंजीनियरिंग व अन्य तकनीकी शिक्षा युवा प्राप्त है। अनेकेा ऐसे युवा आवेदन करते है लेकिन भर्तियों में नहीं लिया जाता है।
ठेका श्रमिक में जो मजदूर लगाये जाते हैं, उनमें भी स्थानीय युवाओ की घोर उपेक्षा कर बाहर के लोगों को लगाया जाता है। इस परंपरा को बंद कर स्थानीय लोगो केा लगाया जाये।
यह संविधान की 5वीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्र हैं, यहां की जमीन आदिवासियों की है। एनएमडीसी भी लीज़ में जमीन लिया है। लेकिन किरंदुल व बचेली में बिना रोक टोक के बाहरी लोग आकर यहां की जमीन में घर बनाकर या लीज़ में लेकर रहर है। यही लोग एनएमडीसी में भर्ती हो रहे हैं और ठेका श्रमिक में भी यही लोग ज्यादातर लग रहे हैं।
डिपोजिट 14 नंबर माइंस के क्षमता विस्तार की कार्यवाही दौरान एनएमडीसी के नोडल अधिकारी व आदिवासी महासभा के बची 14 सूत्रीय मांगों को हल करने की सहमति बनी थी। इसी आधार पर जनसुनवाई में लोगों ने सहमति प्रदान की थी। लेकिन इस महत्वपूर्ण सहमति हासिल करने के बाद प्रबंधन उन मांगों को पूर्णत: नजर अंदाज कर दिया है। इन सभी 8 सूत्रीय मांगों को तत्काल हल करने की कार्रवाई की किया जाये अन्यथा शीघ्र दोनों माइंस को कई दिनों तक बंद करने के लिए आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे।