दुर्ग

धमधागढ़ के महामाया में मनोकामना ज्योत जला
14-Apr-2021 5:26 PM
धमधागढ़ के महामाया में मनोकामना ज्योत जला

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमधा, 14 अपै्रल। 
धमधा शहर में सैकड़ों सालों से त्रिमूर्ति की आराधना हो रही है तीन देवियों की ऐसी प्राचीन प्रतिमाएं संपूर्ण भारत में और कहीं भी नहीं है। यहां एक ही गर्भगृह में तीन देवियों महाकाली,महालक्ष्मी और महासरस्वती की स्थापना है। तीन देवियों के साकार रूप एक साथ देश में बिरले स्थानों पर ही दिखाई देते हैं। जम्मू-कश्मीर के वैष्णो देवी मंदिर में ये तीनों देवियां तीन रूप में विद्यमान हैं, जबकि यहां साकार रूप में है छत्तीसगढ़ के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थानों में धमधा भी शामिल है। 

दुर्ग जिला मुख्यालय से उत्तर दिशा में 35 किलोमीटर दूर दुर्ग बेमेतरा मार्ग पर यह प्राचीन शहर स्थित है। त्रिमूर्ति महामाया की प्रतिमाएं 432 वर्षों से भी ज्यादा प्राचीन हैं स्थानीय वै? घराज स्व रामजी अग्रवाल की डायरी के अनुसार धमधा गढ़ को वीर गोंड सरदार सांड ने बसाया। गोंड राजवंश ने विक्रम संवत 1100 में धमधा की पुन: स्थापना कराई थी। यहां पहले टूटे किले और मंदिरों के अवशेष थे जिसे गोंड राज्यों ने फिर से बनाया आज भी यहां का किला गोंड राजवंश के साहस और वीरता का प्रतीक बनाया हुआ है। किले के भग्नावेश, सिंहद्वार बुढ़ा देव मंदिर आज भी अपने पुराने वैभव का बखान करते प्रतीत होते हैं महामाया मंदिर के गर्भगृह के मुख्य दरवाजे में शिलालेख अंकित है इसमें मंदिर स्थापना और उसके काल का उल्लेख है पांडुलिपियों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना सन 1589 में राजा दशवंत सिंह ने की थी।
 

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