बस्तर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 21 फरवरी। बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा के मुख्य संयोजक नवनीत चांद ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार की सरकारी उपक्रम के साथ शोषण नीतियों के खिलाफ राज्य की बंदिशें तोड़ कर राजनीति से ऊपर उठकर देश हित में केंद्र सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जनता की संयुक्त लड़ाई लोकतांत्रिक अधिकारों के तहत लडऩे का समय आ गया है। जिसके तहत बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा द्वारा बस्तर के विकास व रोजगार के सपनों से जुड़े एनएमडीसी के नगरनार स्टील प्लांट के केंद्रीय निजीकरण फैसले के खिलाफ जमीनी लड़ाई को और मजबूत करने व बस्तर की पीड़ा व पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश की पीड़ा को एक समान समझ, आरआईएनएल के उपक्रम विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के केन्द्रीय निजीकरण तानाशाही फैसले के विरोध में हो रहे जन आंदोलन को समर्थन देकर बस्तर हित व विशाखापट्टनम हित को ध्यान में रख केंद्र सरकार शोषण नीतियों के खिलाफ संयुक्त लड़ाई लडऩे की अपील करेगा।
मुक्तिमोर्चा ने अपने बयान में आगे कहा कि दोनों ही राज्यों के लोगों ने अपने इलाके के विकास व रोजगार के अवसर को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपनी जमीने दी और सरकारी उपक्रम की स्थापना में सरकार की मदद की, पर बस्तर में 5वीं अनुसूची के बाद भी केंद्र व राज्य सरकार ने ग्राम सभा में एनएमडीसी द्वारा बस्तर हितों में किये गए वादों को नहीं पूरा करने पर भी, जनता हित में कार्रवाई करने के बजाए, प्लांट को नुकसान में बता बस्तर हितों की शर्तों का उल्लंघन कर प्लांट को निजी हाथों में देने का फैसला कर दिया है। राज्य व केंद्र सरकारों की मिलीभगत पर दोनों ही राष्ट्रीय पार्टियों के जनप्रतिनिधियों ने विरोध का खोखला खेल रूपी षडयंत्र रच बस्तरवासियों के विश्वास के साथ धोखा देने का कार्य किया जा रहा है। यही हाल आंध्रप्रदेश के राज्य सरकार व केंद्र सरकार का है। जिसके खिलाफ विशाखापट्टनम के निवासियों ने प्लांट के यूनियन व सर्वदलीय मंच के माध्यम से विरोध में जन आंदोलन प्रारंभ कर दिया है। इसी कारण बस्तर अधिकार मुक्तिमोर्चा ने दोनों ही राज्य की हितों हेतु प्रारंभ आंदोलन को मजबूती देने की कोशिश करते हुए केंद्र सरकार के खिलाफ क्षेत्रीय हितों को बचाने हेतु संयुक्त लड़ाई लडऩे जरूरत को समझाकर, बस्तर के नगरनार व विशाखापट्टनम स्टील प्लांट के निजीकरण को रोकने हेतु संयुक्त विरोध अभियान चलाने की अपील करेगा।