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बस्तर में सोमवार शाम तक 252 टीके लगाए
18-Jan-2021 9:11 PM
 बस्तर में सोमवार शाम तक 252 टीके लगाए

छत्तीसगढ़’ संवाददाता

जगदलपुर, 18 जनवरी। कोरोना टीकाकरण पूरे देश में 16 जनवरी से शुरू की गयी है। टीकाकरण के उपरांत संभावित एडवर्स इवेंट्स फालोइंग इमुनाइजशन (एइएफआई) मामलों के लिए समुचित प्रबंधन की व्यवस्था सरकार द्वारा की गई है।

जिला टीकाकरण अधिकारी सीआर मैत्री ने बताया कि सोमवार को हुए टीकाकरण में बस्तर जिले में आज 580 लाभार्थियों को टीके लगाए जाने थे, जिनमें से शाम 5 बजे तक मिले आंकड़ों के अनुसार 252 लाभार्थियों को टीके लगाए जा चुके थे। सर्वाधिक 70 टीके बस्तर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लगाए गए। इसके अतिरिक्त बकावण्ड में 60, नानगुर में 30, बास्तानार में 29, मेडिकल कॉलेज में 10, जिला अस्पताल जगदलपुर में 53 लाभार्थियों को कोरोना के टीके लगाए गए। देर शाम तक इन आंकड़ों में परिवर्तन हो सकते हैं।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार टीकाकरण के उपरांत किसी भी प्रकार की चिकित्सीय परेशानी अगर टीका लगवाने वाले को होती है तो उसे एइएफआई यानी एडवर्स इवेंट्स फोलोइंग  इम्यूनाइजेशन की संज्ञा दी जाती है। यह स्थिति कई कारणों से उत्पन्न हो सकती है और यह जरुरी नहीं है कि टीकाकरण ही इसकी वजह हो। टीकाकरण को लेकर आशंका, मन में घबराहट का होना एवं टीकाकरण के समय गलत तकनीक का इस्तेमाल आदि इसके वजह हो सकते हैं। ज्यादातर एइएफआई के लक्षण जैसे जी मितलाना, घबराहट, टीके वाली जगह सूजन एवं सर में दर्द आदि का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है। गंभीर चिकित्सीय जटिलता टीकाकरण के उपरांत होते है लेकिन कम। 

एइएफआई के मामलों के लिए है समुचित प्रबंधन की है व्यवस्था

कोविड-19 टीकाकरण के उपरांत एइएफआई मामलों के प्रबंधन के लिए हर जिले में समुचित व्यवस्था की गयी है। यह व्यवस्था जिलों के मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में की गयी है। कोविड-19 को लेकर प्रदेश में 104 नंबर कंट्रोल रूम पर फोन किया जा सकता है या पास के स्वास्थ्य केंद्र में इसकी जानकारी दी जा सकती है। एम्बुलेंस सेवा भी सरकार द्वारा उपलब्ध कारवाई जाएगी। 

कोविड-19 वैक्सीन सभी के लिए सुरक्षित

कोविड टीका सभी प्रमाणित वैक्सीन पूरी प्रक्रिया के गुजरने का बाद ही स्वीकृत की गयी है और पूर्णतया सुरक्षित है। चरणवार तरीके से इसे सभी को उपलब्ध कराने की सरकार की योजना है। टीकाकरण के पश्चात लाभार्थी को किसी प्रकार की परेशानी के प्रबंध के लिए सत्र स्थल पर एनाफलीसिस कीट एवं एईएफआई कीट की पर्याप्त संख्या में उपलब्धता सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए संबंधित टीकाकर्मी एवं चिकित्सकों को आवश्यक प्रशिक्षण भी दिया गया है।

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