कोरबा
सरकारी शिक्षकों ने बच्चों को पढ़ाई के साथ चित्रकला, रंगोली, साहित्य के क्षेत्र में किया आगे
कोरबा, 14 जनवरी। सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने कोरोनाकाल में अध्यापन कार्य के अतिरिक्त अन्य गतिविधियां करा कर इस धारणा को पूरी तरह से गलत साबित करके दिखाया है कि सरकारी स्कूल पिछड़े हुए हैं। कोरोना के संकट काल में ना केवल सरकारी शिक्षक बच्चों के पढ़ाई को लेकर चिंतित थे। लेकिन कोरोना काल में शिक्षकों ने बच्चों की अन्य प्रतिभाओं को खुलकर सामने लाए।
बालको के निकट ग्राम दोंदरो के प्राथमिक शाला दोंदरो में पदस्थ सहायक शिक्षक ममता चौहान ने कोरोना सर्वे में ड्यूटी के साथ ही विद्यालय के बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ अन्य गतिविधियों में भाग लेने हेतु प्रेरित किया और इसके लिए उन्हें मार्गदर्शन भी दिया। छत्तीसगढ़ शासन की महत्वकांक्षी योजना पढ़ई तुहर द्वार का प्रयोग उन्होंने अपने बच्चों की प्रतिभाओं को बाहर लाने में किया। उन्होंने अपने गांव में तीन स्थान पर मोहल्ला क्लास प्रारंभ किया जो आज तक चलती जा रही है। अपने मोहल्ला क्लास में जो बच्चे साहित्य, कला , ललित कला एवं सांस्कृतिक क्षेत्र में अच्छे हैं उन्हें पढ़ाई के साथ-साथ इन कलाओं को भी सिखाना शुरू किया। इसका परिणाम यह रहा कि जब अन्य संस्थाओं द्वारा ऑनलाइन फैंसी ड्रेस, रंगोली, चित्रकला, निबंध इत्यादि प्रतियोगिताएं ऑनलाइन आयोजित की गई। उन्होंने अपने बच्चों को इन प्रतियोगिताओं में भाग लेने हेतु तैयार किया। बच्चों ने इन क्षेत्रों में अपना क्षेष्ठ प्रदर्शन करते हुए स्थान प्राप्त किया।
बालको के वार्ड 39 के पार्षद लोकेश चौहान द्वारा आयोजित बालको नगर के सभी वासियों के लिए फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था, जिसमें प्राथमिक शाला दोंदरो के बच्चों ने टॉप 10 में अपना जगह बनाई। इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बालको के सीएसआर हेड अवतार सिंह थे। साधना ने द्वितीय, ज्योतिका ने चतुर्थ, प्रियांशी ने पांचवां एवं रिया ने छठवां स्थान प्राप्त किया।