‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कोण्डागांव, 20 मार्च। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा 10 मार्च 2024 को ‘बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ की शुरुआत की गई थी। इस अभियान को सफल बनाने के लिए कलेक्टर कुणाल दुदावत के निर्देशानुसार कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में गुरुवार को जिले के बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारियों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया।
प्रशिक्षण के दौरान जिला बाल संरक्षण अधिकारी नरेंद्र सोनी ने बाल विवाह की परिभाषा, बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006, इसके दुष्परिणाम और रोकथाम के उपाय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बाल विवाह रोकने के लिए चाइल्डलाइन 1098 पर सूचना दी जा सकती है। इसके अलावा, बाल विवाह कराने पर कानूनी कार्रवाई और सजा के प्रावधान के बारे में भी बताया गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि कोई 21 वर्ष से अधिक उम्र का पुरुष बाल विवाह करता है, तो उसे दो साल तक की कठोर सजा या एक लाख रुपये जुर्माना, अथवा दोनों हो सकते हैं।
इस दौरान जिले में घटित बाल विवाह के मामलों का उदाहरण देकर अधिकारियों को जागरूक किया गया। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट मधु बघेल ने बताया कि बाल विवाह के कारण बच्चे डिप्रेशन में चले जाते हैं।
और उनके मानसिक स्वास्थ्य को कैसे समझा जाए तथा उन्हें सही परामर्श कैसे दिया जाए, इस पर विस्तृत जानकारी दी।परियोजना अधिकारी संजय पोटावी ने बाल विवाह के दुष्परिणाम, सजा के प्रावधान, शिशु मृत्यु दर में वृद्धि और समाज में व्याप्त कुरीतियों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
बाल विवाह मुक्त भारत अभियान को सफल बनाने के लिए शासन द्वारा सभी ग्राम पंचायत सचिवों और पर्यवेक्षकों को बाल विवाह प्रतिषेध अधिकारी नियुक्त किया गया है। प्रशिक्षण में बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष और सदस्य, परियोजना अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई के अधिकारी-कर्मचारी, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी-कर्मचारी, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और बाल देखरेख संस्थाओं के कर्मचारी उपस्थित रहे।