‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 13 मार्च। बलौदाबाजार में बारिश के दिन साल दर साल घटते जा रहे हैं। बारिश भी पहले के मुकाबले कम हुई है। इसके चलते भूख जल स्तर लगातार गिरता जा रहा है। इलाके के सभी बांध इसकी गवाही कह रहे हैं। यहां 26 में से 20 बांधों में अब इतना पानी भी नहीं बचा, जिसे नापा जा सके।
अभी केवल निस्तारी लायक पानी है तो इन्हें पूरी तरह सूखा भी नहीं कहा जा सकता। उधर जिन 6 बांधों में ठीक-ठाक पानी होने की बात कही जा रही है वहां सबसे ज्यादा कुनकुरी जलाशय में महज 30 फीसदी पानी बचा है। ये आगे कितने दिनों तक घटेगा, अभी नहीं कहा जा सकता।
बलौदाबाजार शहर के साथ आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी भूजल स्तर कमजोर होने लगा है। कई इलाकों में पेयजल के लिए अभी से हाहाकार मचने लगा है। लोगों की सबसे बड़ी चिंता क्षेत्र के प्रमुख जलाशयों का खाली होना है। बलौदाबाजार में जल संसाधन निर्माण उपसंभाग के 26 प्रमुख जलाशयों में से अब महज 6 जलाशयों में ही पानी है। बाकी 20 ग्रीष्म ऋतु के प्रारंभिक काल में भी लगभग सूखने की कगार पर है। फिलहाल इन जलस्यों में निस्तारी लायक थोड़ा बहुत पानी बचा है। यह चिंताजनक है। जलाशयों की यह स्थिति ग्रीष्म ऋतु के शुरुआती महीनों में है। ऐसे में लोगों को मई जून की चिंता सताने लगी है।
ठीक-ठाक डैम का भी ये हाल
26 प्रमुख जलाशयों में घुघवा जलाशय में सबसे ज्यादा 30 फ़ीसदी पानी है। बालसमुंद में 20 फीसदी छेरकापुर जलाशय में 8 फीसदी खैरादतान जलाशय में 24 फीसदी कारी जलाशय में 10 फीसदी तथा बलौदाबाजार जलाशय में 17 फीसदी ही जल भराव है। शेष 20 जलाशयों में जल भराव की स्थिति बेहद चिंताजनक है। महज निस्तारी लायक पानी बचा है। यह पानी भी आगे कितने दिनों तक चलेगा यह कहना जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के लिए मुश्किल है।
पहले मई तक आधे भरे जाते थे जलाशय
ग्रामीणों के मुताबिक पहले जलासियों में मई तक कम से कम आधा पानी रहता था। इस साल जिले के अधिकांश जलाशयों में पानी काफी कम बचा है। बीते साल कमजोर बारिश के चलते जलाशयों में 100 फीसदी फीसड्डी जलभराव नहीं हो पाया था। संभवत: इस साल जलाशयों के जल्दी सूखने की यह बड़ी वजह है।
खरीफ के लिए खतरे की घड़ी
ग्रामीण इलाकों के अधिकांश जलाशय ग्रामीण लोगों की निस्तारी के साथ ही साथ खरीफ फसल के लिए किसानों को पानी देना देने भूजल स्तर को बनाए रखने में कड़ी भूमिका निभाते हैं। जलाशयों का सूखना या जलाशयों में पानी का बेहद कम पानी होना खतरे की घंटी है। चिंता की बात यह है कि अभी ग्रीष्म ऋतु का सबसे कठिन समय यानी पूरा मार्च अप्रैल में तथा जून माह के दो हफ्ते बाकी है। करीब 3 माह सिर तपाने वाली गर्मी में बांधों के सूखने से ग्रामीण इलाकों में लोगों को निस्तारी के गंभीर संकट से जूझना पड़ सकता है।
100 एकड़ से बड़े है डैम
बलौदाबाजार छुईहा टैंक जलाशय तथा खैरादतान तथा जलाशय लाल बांधा जलाशय का कुल रकबा लगभग 100 एकड़ से अधिक है। कुनकुरी जलाशय लगभग 114 एकड़ में फैला है। बलौदाबाजार और कुनकुरी जलासियों को बीबीसी से भरा जाता है। इन जलाशयों से निकली नहरे से तालाबों को भरने के साथ खेतों में सिंचाई के लिए पानी दिया जाता है। कुनकुरी जलाशय से कुनकुरी, ढनढनी, रिसदा, परसाभदेर, कोकडी, भाटागांव आदि छुईहा जलाशय से सोनपुरी, बलौदाबाजार, अचानकपुर, परसाभदेर, खैरघटा, पहंदा, शुक्लाभाटा आदि खैरलाल बांध जलाशय से खैरा, हरदी, पहंदा, चूरमा आदि गांव के किसानों को फसल के लिए पानी दिया जाता है। वहीं निस्तारी के साथ इलाके का भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है।