सारंगढ़, 13 फरवरी । प्रतापगंज में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन थवाईत परिवार द्वारा किया जा रहा है जिसमें पं गिरधारी लाल तिवारी द्वारा सुमधुर वाणी से गीत संगीत के साथ श्रीमद्भागवत कथा का वाचन कर रहे हैं।
कथा में उन्होंने ब्रह्म मूहूर्त का महत्व बताते हुए कहा कि - जो व्यक्ति ब्रह्म मूहूर्त में उठता है उसे अवश्य ही ब्रह्म की प्राप्ति होती है व जो ब्रम्ह मूहूर्त में उठकर स्नान आदि करके सूर्य देव को अघ्र्य देता है वह कभी दरिद्र नहीं होता तथा यही विधि भगवान श्रीकृष्ण ने पाण्डवों को बताया था। इसी विधि से सूर्य देव की उपासना करने के कारण सूर्य देव ने पाण्डवों को अक्षय पात्र दिया था जिससे घर की महिला के खाने के पूर्व तक कितने भी लोगों को भोजन कराया जा सकता था ।
एक बार ऋषि दुर्वासा अपने साठ हजार शिष्यों को लेकर भोजन की इच्छा से पाण्डवों के पास ऐसे समय पहुंचे, जब द्रौपदी भोजन कर चुकी थीं, तब पाण्डवों ने भगवान श्रीकृष्ण को याद किया, तब उन्होंने अक्षय पात्र को मंगवाया और उसमें से एक दाना ग्रहण कर लिया तो सारा संसार तृप्त हो गया । ऋषि दुर्वासा को वहां से जाना पड़ गया अर्थात जिस पर भगवान की कृपा हो उसका कोई भी बाल भी बांका नहीं कर सकता ।
पं गिरधारी लाल ने आगे विष्णु भगवान द्वारा भगवान ब्रम्हा की उत्पत्ति व ब्रम्हा द्वारा सृष्टि निर्माण का वृत्तांत विस्तार से सुनाया।