बलौदा बाजार

रोजी पर महिलाएं कर रहीं चुनाव प्रचार, फूल-पटाखे की भी डिमांड
09-Feb-2025 2:56 PM
रोजी पर महिलाएं कर रहीं चुनाव प्रचार, फूल-पटाखे की भी डिमांड

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 9 फरवरी।
छत्तीसगढ़ में चुनाव को ‘चुनई तिहार’ यानी त्यौहार के रूप में मनाया जाता है। इसका मतलब केवल चुनाव में होने वाली गतिविधियों से नहीं बल्कि चुनाव के दौरान होने वाली कुछ विशेष मांगों और जश्न से भी है। यह चुनावी माहौल को त्यौहार जैसा बना देता है। 

आगामी निकाय चुनाव के लिए 11 तारीख को मतदान होना है। इसके नजदीक आते ही चुनावी प्रचार-प्रसार भी तेज हो गई है। इसी चुनावी माहौल में इन दिनों नगर के 21 वार्डों में पार्षद और अध्यक्ष के चुनाव के लिए रोजाना चुनावी रैलियों का आयोजन हो रहा है। 

प्रचार में खास बात देखने मिला कि इस रैलियों में महिलाओं की संख्या लगातार बढ़ रही है। चुनाव प्रचार में मदद के लिए प्रतिदिन 500 से ज्यादा महिलाएं विभिन्न दलों की रैलियां में शामिल हो रही हंै। रैलियों में काम करने वाली इन महिलाओं के लिए उन्हें एक तय राशि जैसे 250 -300 रुपए लगा दिए जा रहे हैं। इन महिलाओं को सुबह एक दल की रैली में देखा जाता है।

दोपहर शाम को यही दूसरे दलों की रैली में नजर आ जाती हैं। इस दौरान इन महिलाओं को उनके दल का गमछा पहनाया जाता है। वे रैली की पूरी तालीनता से प्रचार-प्रसार करती है। इसके अलावा चुनाव प्रचार का एक और अहम हिस्सा बन गया है फ्लैक्स दीवारों पर अब यह पेंटिंग की जगह ले चुके हैं। 

चुनाव प्रचार के दौरान अब फ्लैक्स प्रिंटर्स के यहां दिन रात काम हो रहा है। पिछले कुछ साल में चुनाव प्रचार की तकनीक में बदलाव आया है। अब पेंटरों की बजाय फ्लैक्स की डिमांड बहुत बढ़ गई है। फ्लैक्स प्रिंटिंग में काम करने वालों को अब तीन शिफ्ट में काम करना पड़ता है और यह काम दिन के 18 -20 घंटे तक चल रहा है।

बाजार में बढ़ी चार गुना रफ्तार 
रैलियों में फूल और पटाखे की डिमांड भी रिकॉर्ड तोड़ रही है। भाजपा और कांग्रेस के बड़े नेताओं जैसे पीसीसी अध्यक्ष दीपक बैज और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, मंत्री टंकराम वर्मा और पूर्व विधायक संगठन शर्मा द्वारा चुनाव प्रचार किया जा रहा है। इन नेताओं की रैलियां में फूलों और पटाखे की भारी डिमांड देखी जा रही है। पिछले 15 दिनों के दौरान फूलों और पटाखे की बिक्री सामान्य दिनों की तुलना में चार गुना बढ़ गई है।

पटाखे की बिक्री में तो दिवाली के समय की बिक्री के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया है। चुनाव प्रचार में फूल मामलों ढोल और लाउडस्पीकर का इस्तेमाल भी बढ़ गया है। इन दिनों कोई भी चुनावी रैली बिना ढोल और लाउडस्पीकर के नहीं होती महज 15 दिन पहले तक जहां ढोल वैवाहिक आयोजनों में ही सुनाई देते थे। 

अब वे चुनावी रैलियों में भी बजते हुए नजर आ रहे हैं। इस तरह से चुनावी प्रचार प्रसार ने नगर में उत्सव जैसा माहौल बना दिया है। हर किसी को चुनावी प्रचार में कुछ ना कुछ काम मिल रहा है। ऐसे में चुनावों के चलते न केवल राजनीतिक बाल की कई छोटे बड़े कारोबार भी चल पड़े हैं।

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