सरगुजा

चुनाव प्रचार थमने से पहले भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत
08-Feb-2025 8:55 PM
चुनाव प्रचार थमने से पहले भाजपा-कांग्रेस और निर्दलीय प्रत्याशियों ने झोंकी ताकत

वार्डों में प्रत्याशी जोर-शोर से कर रहे प्रचार-प्रसार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 8 फरवरी। नगरीय निकाय चुनाव को लेकर 11 फरवरी को मतदान है और उसके 24 घंटा पहले चुनावी प्रचार थम जाएगा। इसके पूर्व शनिवार को भाजपा कांग्रेस और निर्दलीय महापौर एवं पार्षद प्रत्याशी अपनी पूरी ताकत झोंकते हुए वार्डों में जोर-जोर से प्रचार प्रसार किए।

गौरतलब है कि नगरीय निकाय चुनाव के लिए अंबिकापुर में महापौर के 6 प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं और 48 वार्डों में 124 प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें भाजपा से सात और कांग्रेस के तीन बागी चुनाव मैदान में हैं।

नगरीय निकाय चुनाव में भाजपा को जीत दिलाने एक तरफ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने शुक्रवार को ही अंबिकापुर शहर में भव्य रोड शो किया था तो वहीं पूर्व उप मुख्यमंत्री टी एस सिंह देव कांग्रेस की ओर से कमान संभाले हुए हैं और वह महापौर प्रत्याशी डॉ. अजय तिर्की एवं पार्षदों के वार्डों में जाकर जोर-जोर से प्रचार प्रसार में लगे हुए हैं।

भाजपा भी अपने पूरे संगठन के साथ चुनावी मैदान में है और भाजपा के पक्ष में मतदान कराने मतदाताओं से अपील कर रहे हैं। कांग्रेस पार्टी भी पिछले 10 वर्ष की उपलब्धियां को गिना रहा है और जनता से अपने पक्ष में मतदान करने की अपील कर रहे हैं।

भाजपा कांग्रेस व निर्दलीय प्रत्याशियों के पास रविवार तक चुनावी शोरगुल के साथ प्रचार-प्रसार करने का मौका है,उसके पश्चात 24 घंटे पूर्व चुनाव प्रचार थम जाएगा, इसके बाद प्रत्याशी सिर्फ  डोर टू डोर जाकर ही प्रचार प्रसार कर पाएंगे। यदि पिछले लोकसभा तथा विधानसभा चुनाव में भाजपा को अंबिकापुर शहर से मिले वोट पर नजऱ डालें तो लोकसभा में बीजेपी 21,000 से तथा विधानसभा में 8,500 वोट से कॉंग्रेस से आगे रही है।

अध्ययन करें तो लोकसभा व विधानसभा दोनों चुनाव में बीजेपी की जीत का प्रमुख कारण अंबिकापुर शहर से मिले एकतरफ़ा समर्थन व वोट रहे हैं। क्या यही सिलसिला मेयर चुनाव में भी भाजपा दोहरा पाएगी?

नगर पालिक निगम अंबिकापुर के चुनावी इतिहास की बात करें तो 2004, 2009, 2014 तथा 2019 के नगरीय निकाय चुनाव में से दो बार भाजपा तथा दो बार कॉंग्रेस के मेयर रहे हैं। पिछला मेयर चुनाव तो सही मायनों में प्रत्यक्ष हुआ ही नहीं, पार्षद दल ने बहुमत के आधार पर अपना महापौर चुना था, जिसमें कांग्रेस के डॉ. अजय तिर्की विजयी हुए थे। पिछले कार्यकाल में अंबिकापुर नगर निगम के कुल 48 वार्डों में भाजपा के 20 तथा कॉंग्रेस के 27 पार्षद जीतकर आए थे। इस बार फिर से निगम क्षेत्र के 48 वार्डों में चुनाव तो हो रहे हैं परंतु नए परिसीमन में।

कांग्रेस का आरोप है कि छत्तीसगढ़ की बीजेपी सरकार ने चुनाव पूर्व कई वार्डों का परिसीमन कराया, जिसमें भाजपा के हितों को ध्यान में रखकर वार्डों की डेमोग्राफी को व्यवस्थित किया गया होगा। इसके पूर्व भाजपा ने भी कांग्रेस पर आरोप लगाया था कि पिछली कॉंग्रेस की भूपेश सरकार ने कॉंग्रेस पार्टी के हिसाब से वार्डों का परिसीमन 2019 के चुनाव से पूर्व कराया था जिसका लाभ उन्हें तत्कालीन नगरीय निकाय चुनाव में भी मिला।

ज्ञात हो कि 2014 में जब डॉ. अजय तिर्की एक नए चेहरे के रूप में कांग्रेस के महापौर प्रत्याशी बनकर विजयी हुए थे, उस समय भी मंजूषा भगत भाजपा की महापौर प्रत्याशी थीं।

बहरहाल, किसी भी चुनाव परिणाम को लेकर लगाए जाने वाले कयास सही साबित तभी होते हैं, जब जमीनी स्तर पर काम होता है। आगामी 11 फरवरी को नगरीय निकाय चुनाव का मतदान है। चुनाव आयोग द्वारा प्रचार हेतु दिए गए अत्यंत कम समय में जो दल जितनी जल्दी जनता के बीच पहुंचकर अपनी बात रख उनका मन बनाने में कामयाब होगा अंतत: बाजी वही मारेगा।

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