‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 15 जनवरी। हर साल की तरह इस साल भी कल मकर संक्रांति पर जिला मुख्यालय से 13 किमी दूर महासमुंद और गरियाबंद जिले के सरहद से लगे ग्राम हथखोज में महानदी में सुबह से शाम तक सूखा लहरा लेने हजारों श्रद्धालु पहुंचे। यहां मकर संक्रांति पर हर साल ‘घोंडुल मेला’ लगता है।यहां मकर सक्रांति को दूर-दूर से श्रद्धालु शक्ति लहरी की आराधना कर सूखा लहरा लेते और मेले का आनंद लेते नजर आते हैं।
लोगों ने यहां शिव परिवार की प्राचीन पाषाण प्रतिमा शक्ति लहरी का दर्शन किया और कथा, भक्ति-भजन का सिलसिला पूरे दिन चलता रहा। साथ ही महानदी की रेत पर शिव आराधना कर सूखा लहरा लिया। बच्चे-बड़े सभी ने भक्ति की शक्ति का प्रत्यक्ष अनुभव करते हुए देवी लहरी की आराधना के साथ ही सूखा लहरा लेकर अदृश्य शक्ति के प्रति आस्था प्रकट की।
ऐसी मान्यता है कि देवी की भक्ति और पूजा आराधना के साथ दोनों हाथों की अंगुलियों को आपस में जोडक़र दंडवत रेत पर लेटने से मनोकामना पूरी होती है. दंडवत करने वालों का शरीर बगैर किसी प्रयास के स्वमेव रेत में लहरा लेने लगता है।
हथखोज को सप्तधारा संगम माना जाता है। यहां सरगी नदी, केशवा नदी, बघनई नदी, सूखा नदी, पैरी, सोंढूर, महानदी की जलधारा का मिलन स्थल है। ये सभी छोटी नदियां महानदी में यहीं पर मिलती है। इसके चलते इसे सप्तधारा संगम स्थल माना गया है।
अत: कल यहां पर सूखा नदी की रेत पर दंडवत लेटकर श्रद्धालुओं ने रेत से शिवलिंग बनाया। बाद देवी शक्ति लहरी की आराधना की और किसी सहयोगी के द्वारा हाथ लगाने मात्र से लोग स्वयमेव रेत पर लुढक़ते रहे। लुढक़ते लोग कुछ दूर तक जाकर स्वयमेव रुके. और नदी को नमन किया.।
महिला, बच्चों के अलावा पुरुष और बुजुर्ग भी इस तरह से सूखे रेत पर लोटकर स्नान करते नजर आए।