33 जिला पंचायत अध्यक्ष आरक्षण में ओबीसी के लिए एक भी सीट नहीं
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 14 जनवरी। पूर्व संसदीय सचिव व महासमुंद के पूर्व विधायक विनोद सेवन लाल चंद्राकर ने जारी विज्ञप्ति में कहा कि भाजपा सरकार द्वारा स्थानीय निकाय चुनाव में आरक्षण प्रावधानों में किये गये दुर्भावना पूर्वक संसोधन के चलते अधिकांश जिला एवं जनपद पंचायतों में ओबीसी आरक्षण खत्म हो गया है। प्रदेश के 33 जिला पंचायत अध्यक्ष पदों के आरक्षण में एक भी जिला पंचायत अध्यक्ष पद ओबीसी वर्ग के लिए आरक्षित नहीं किया गया है। 8 जिला पंचायत अध्यक्ष के पद अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किए गए हैं, जबकि 8 पद अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। इसके अलावा, 2 जिला पंचायत अध्यक्षों के पद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित होंगे और 2 पद अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए तय किए गए हैं। 6 जिला पंचायतों में अध्यक्ष का पद अनारक्षित, जबकि 7 जिला पंचायतों में अनारक्षित महिलाओं के लिए रखा गया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश के 16 जिला पंचायत और 85 जनपदों में जहां पहले 25 प्रतिशत सीटे अन्य पिछड़ा वर्ग के उम्मीवारों के लिए आरक्षित थी, अब अनुसूचित क्षेत्रों में ओबीसी आरक्षण लगभग खत्म हो गया है, जिसके कारण ओबीसी वर्ग अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। निकाय आरक्षण में ओबीसी वर्ग को ठगने के बाद सरकार ने जिला, जनपद व पंचायतों के आरक्षण में भी ओबीसी वर्ग को हाशिए पर रख दिया है।
श्री चंद्राकर ने कहा कि मैदानी क्षेत्रों में अनेक पंचायते ऐसी है, जहां पर 90 से 99 प्रतिशत आबादी ओबीसी की है लेकिन वहां पर भी ओबीसी के लिए सरपंच का पद आरक्षित नहीं है। पंचों का आरक्षण भी जनसंख्या के अनुपात में काफी कम है। पूर्व में ओबीसी के लिए आरक्षित ये सभी सीटें सामान्य घोषित हो चुकी है। साय सरकार द्वारा आरक्षण प्रक्रिया के नियमों में दुर्भावना पूर्वक संशोधन के बाद अनुसूचित जिले और ब्लॉकों में जिला पंचायत सदस्य, जनपद सदस्य और पंचों का जो भी पद ओबीसी के लिए आरक्षित था, अब वे सामान्य सीटें घोषित हो चुकी हैं।
सरकार द्वारा स्थानीय नगरीय निकाय एवं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण के प्रावधानों में जो षडयंत्र पूर्वक ओबीसी विरोधी परिवर्तन किया है, उसका परिणाम सामने है।
इस सरकार ने ओबीसी वर्ग के हक और अधिकारों में बड़ी डकैती की है। साय सरकार ने ओबीसी वर्ग को चुनाव लडऩे से षडयंत्र पूर्वक रोक दिया है और यह सरकार ओबीसी विरोधी बन गयी हैं। इससे यह स्पष्ट होता है कि भाजपा सरकार आरक्षण विरोधी है।