बेमेतरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 18 नवंबर। जिले में खाद की पर्याप्त आवक नहीं होने की वजह से सहकारी समितियों में रबी फसल सीजन के दौरान यूरिया खाद का स्टॉक किसानों की जरूरत के हिसाब से समितियों के पास कम है। जिले में रबी फसल सीजन के दौरान 6000 टन डीएपी खाद की डिमांड है। जिले में 891 टन समितियों के पास है। आने वाले दिनों में फसल कटने के बाद डीएपी की अधिक खपत होगी। किसानों की जरूरत के विपरीत 20 फीसदी से कम डीएपी उपलब्ध होने से इस खाद की कमी होने की आशंका है। जिले में डीएपी के अलावा यूरिया, पोटाश व बारह बत्तीस सोलह खाद का स्टॉक जरूरत के अनुसार कम है।
जानकारी हो कि जिले के चारों ब्लॉक बेमेतरा, साजा, बेरला व नवागढ़ में जारी रबी फसल सीजन के दौरान एक लाख 66 हजार 51 हेक्टेयर में किसान फसल लेते हैं। रबी फसल सीजन के दौरान प्रमुख रूप से गेहूं का रकबा 56 हजार हेक्टेयर व अन्य अनाज का रकबा 350 हेक्टेयर, चना, मटर, मसूर, मूंग, उड़द, तिवरा व कुल्थ समेत कुल रकबा 1 लाख हेक्टेयर और अलसी, सरसों, तिल, सूर्यमुखी, कुसुम, मूंगफली व अन्य तिलहन फसलों का रकबा 1400 हेक्टेयर तय किया गया है। आने वाले दिनों में जैसे-जैसे खेतों में फसल कटेगी, वैसे-वैसे रबी फसल सीजन के लिए किसान खेतों में तैयारी शुरू कर देंगे, जिसे देेखते हुए समितियों के पास समय से पूर्व जरूरत के अनुसार सभी तरह की खाद का पर्याप्त स्टॉक की जरूरत होगी। खरीफ फसल कटने के बाद तीनों तरह की खाद यानी यूरिया, डीएपी व बारह बत्तीस सोलह समेत कुल 23580 टन खाद का लक्ष्य तय किया गया है, जिसमें से नए-पुराने स्टॉक को मिलाकर अब तक जिले के चारों ब्लॉक के सहकारी समितियों के पास केवल 4897 टन खाद का भंडारण था, जिसमें से समितियों ने 779 टन खाद का वितरण किसानों को कर दिया। अब वितरण के लिए 5112 टन खाद का स्टॉक समितियों के पास मौजूद है।
20 फीसदी से कम है डीएपी का स्टॉक
जिले में रबी फसल सीजन के दौरान 6000 टन डीएपी खाद की जरूरत होगी। वहीं अब तक जिले में नए स्टॉक के तौर पर केवल 235 टन आपूर्ति की गई है। वहीं बीते सीजन के दौरान वितरण के बाद समितियों के पास 788 टन डीएपी खाद का स्टॉक था। नए व पुराने स्टॉक मिलाकर जिले में 1123 टन डीएपी है, जिसमें से 232 टन का वितरण किसानों को किया गया। वितरण के बाद समितियों के पास 891 टन डीएपी है, जिसे उठाव खुलने के बाद केवल चार दिन का स्टॉक होने की बात सूत्रों के द्वारा कही जा रही है। स्टॉक समाप्त होने के बाद जिले में डीएपी संकट की स्थिति का सामना किसानों को करना पड़ सकता है।
सबसे अधिक यूरिया खाद की उपलब्धता पर पर्याप्त नहीं
किसानों ने बताया कि त्यौहार होने के कारण फसल कटाई की रतार कम थी पर अब किसानों का लक्ष्य केवल धान काटने को लेकर है। जैसे-जैसे धान की कटाई होगी, वैसे-वैसे रबी फसल का रकबा बढ़ेगा। रबी फसल सीजन के दौरान दीगर खाद की अपेक्षा यूरिया खाद का सबसे अधिक 12120 टन का लक्ष्य तय किया गया है। जिले को अब तक विपणन संघ द्वारा 654 टन यूरिया खाद की आपूर्ति की गई है। वहीं समितियों में पूर्व सीजन का बचा हुआ 2165 टन यूरिया उपलब्ध है। नए-पुराने स्टॉक मिलाकर जिले की समितियों में 2819 टन यूरिया का स्टॉक हुआ था, जिसमें से किसानों को अब तक 421 टन यूरिया का वितरण किया जा चुका है, जिसके बाद 2398 टन यूरिया खाद समितियों के पास है। यूरिया का स्टॉक होने की वजह से कई समितियों में यूरिया एक टन का स्टॉक भरा हुआ है पर मांग में तेजी होने की स्थिति में कमी कम पडऩे की आशंका है। किसान रमेश वर्मा ने बताया कि आने वाले दिनों में खाद की जरूरत किसानों को अधिक होगी। ऐसे में समितियों में अधिक से अधिक भंडारण की जाने की जरूरत है।
अन्य खाद की भी कमी, जिसकी डिमांड नहीं वो अधिक
किसानों को फसल के लिए विपणन संघ द्वारा सुपर फास्फेट की सप्लाई केवल 5 टन की गई है। इसी तरह 12 बत्तीस 16 खाद का लक्ष्य 2873 टन रखा गया है पर अभी तक इस खाद की एक टन की सप्लाई विपणन संघ द्वारा नहीं की गई है। समितियों में पूर्व स्टॉक 587 टन में से 34 टन खाद किसानों को वितरित किया गया है। वितरण के बाद समितियों में 553 टन इस खाद का स्टॉक है। वहीं पोटाश की सप्लाई नहीं हुई है। समितियों में 536 टन का स्टाक उपलब्ध है। बहरहाल कास्तकारी अर्थव्यवस्था वाले जिले में आने वाले समय में किसानों की जरूरत को देखते हुए खाद संकट की स्थिति का सामना किसानों को करना पड़ सकता है।
जिला नोडल अधिकारी आरके वारे ने बताया कि जिले के समितियों में डीएपी की कमी है। जिले में प्राप्त होने वाले डीएपी को प्रभावित समितियां में सप्लाई किया जा रहा है जिससे समस्या का हाल हो सके।