बेमेतरा

मठ-मंदिर व सार्वजनिक न्यास मामलों के लिए बने अलग कार्यालय
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 30 जून। धर्म स्तंभ काउंसिल व निर्वाणी अखाड़ा के डॉ. सौरभ निर्वाणी ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से भेंट कर छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों में मठ-मंदिर, सार्वजनिक न्यास एवं ट्रस्ट से जुड़े मामलों के लिए कलेक्टर के अधीन अलग से तीन समर्पित कर्मचारियों के स्थायी कार्यालय की मांग की।
डॉ. सौरभ निर्वाणी ने कहा कि आज जमीनी स्तर पर देखा गया है कि सार्वजनिक न्यासों के संरक्षक कलेक्टर अपनी शक्तियों का हस्तांतरण अनुविभागीय अधिकारियों (राजस्व) को कर देते हैं। लेकिन राजस्व अधिकारियों के पास पहले से ही बड़ी संख्या में भूमि और राजस्व विवाद होते हैं, जिससे वे मठ-मंदिर या ट्रस्ट मामलों पर समुचित ध्यान नहीं दे पाते। उन्होंने रायपुर संभाग का उल्लेख करते हुए बताया कि सिर्फ रायपुर संभाग में ही मठ-मंदिरों की जमीन का बाजार मूल्य 1 लाख करोड़ से अधिक है। राज्य में 3 लाख करोड़ से अधिक की चल-अचल संपत्ति इन न्यासों में है। कभी ये स्थान सनातन धर्म और आध्यात्मिक चेतना के केंद्र रहे हैं। लेकिन वर्तमान में सार्वजनिक न्यास अधिनियम के तहत आने के बाद उचित निगरानी और समर्पित कार्यालयों के अभाव में इन मामलों की स्थिति बेहद बदहाल है। कई स्थानों पर ये प्रक्रियाएं केवल खानापूर्ति बनकर रह गई हैं। पुरानी रजिस्टर कॉपी ही कार्यवाही और दस्तावेज के नाम पर कलेक्ट्रेट में जमा रखी है। धर्म स्तंभ काउंसिल ने यह भी चेताया कि जन आस्था के कारण दान में मिली भूमि और चल-अचल संपत्तियों में लगातार बंदरबांट हो रही है और इस पर रोक लगाने वाली संस्थाएं या तंत्र लगभग निष्क्रिय हैं। इसकी पृष्ठभूमि में आवश्यक मठ-मंदिर एवं ट्रस्ट मामलों के लिए समर्पित अनुभवी व संवेदनशील कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए, जो इन मामलों को गंभीरता पूर्वक देखें। धर्म स्तंभ काउंसिल और अखाड़ा ने यह भी मांग रखी कि सार्वजनिक न्यासों, मठ-मंदिर ट्रस्टों की संपत्तियां, आय और जनहित में किए गए ।
कार्यों की जानकारी पब्लिक डोमेन में नियमित रूप से अपलोड की जाए। इसके लिए नई कार्ययोजना बनाने की आवश्यकता बताई गई है। डॉ. सौरभ निर्वाणी ने बताया कि इस दिशा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय से सार्थक और सकारात्मक चर्चा हुई है और शीघ्र ही इस दिशा में सरकारी स्तर पर ठोस निर्णय लिए जाने की उम्मीद है।