बेमेतरा

तुलसी और शालिग्राम का गन्ने के मंडप के नीचे रचाया विवाह, फोड़े पटाखे
13-Nov-2024 2:41 PM
तुलसी और शालिग्राम का गन्ने के मंडप  के नीचे रचाया विवाह, फोड़े पटाखे

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 13 नवंबर।
नगर व ग्रामीण क्षेत्रों मे देवउठनी पर तुलसी विवाह कराया गया। देव दिवाली पर बाजार में बेहतर कारोबार हुआ। मंगलवार को नगर में 100 से अधिक गन्ना व पूजा सामग्री बेचने के लिए स्टॉल लगाया गया। तुलसी विवाह के बाद अब आने वाले दिनों में शुभ मुहूर्त में विवाह होंगे।

अचंल में इस बार देव उठनी एकादशी पर खासा उत्साह देखा गया। हर ओर धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का माहौल रहा। लोगों ने पर्व को बड़े धूमधाम से मनाया। विभिन्न पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन करते हुए इसे और भी विशेष बनाया। लोगों ने सात तरह की फसल व फल को गन्ने से बने मंडप में रखकर आशीर्वाद लिया। साथ ही नगर में विभिन्न स्थानों पर गौरा-गौरी के विवाह की तैयारी चुलमाटी के साथ की गई।

गायों का सोहई पहनाकर पारंपरिक सिंगार 
बेमेतरा के लगभग सभी 21 वार्ड, लोलेसरा, बरगा, गिधवा व बैजी समेत कई गांवों में ग्वालों ने घर-घर जाकर आशीर्वाद एवं शुभकामनाएं दीं, जिससे घर में अन्न-धन भरपूर रहे एवं सुख समृद्धि बनी रहे। दोहा का वाचन करते हुए गायों को सोहई से सजाया गया।

तुलसी विवाह और गौरा-गौरी विवाह  
देवउठनी एकादशी पर तुलसी विवाह कराया गया। इसके साथ-साथ गांवों एवं शहरों में गौरा-गौरी विवाह का आयोजन किया गया। इस मौके पर महिलाएं पारंपरिक सुआ नृत्य भी करती हुईं नजर आईं। उन्होंने रंग-बिरंगे वस्त्र पहनकर और पारंपरिक गीत गाते हुए सुआ नृत्य का प्रदर्शन किया।

शहरों और गांवों में गन्ने और चना भाजी की खरीददार
देव उठनी एकादशी पर शहरों और गांवों के बाजारों में गन्ने और चना भाजी खरीदने के लिए लोगों की भीड़ रही। लोग इन सामग्री को त्योहार के लिए शुभ मानते हैं और अपने घरों में प्रसाद के रूप में उपयोग करते हैं। बेमेतरा के बस स्टैंड, पिकरी चौक, सिंघौरी, भद्रकाली मंदिर, बालसमुंद रोड, थानखहरिया नगर के साजा चौक, सिल्हाटी चौक, बस स्टैंड व गोल बाजार में देर शाम तक गन्ने बिके।

बरगा में ग्वालों ने सोहाई बांध कर आशीर्वाद लिया 
अनिल यादव, योगेश यादव, पोषण यादव, नरोत्तम यादव, पुरूषोत्तम यादव, संतु यादव, मलवा यादव एवं मंगतु यादव ने गायों को सोहई बांधी। और आशीर्वाद लिया। साथ ही आशीर्वचन के साथ परंपरागत दोहा पढ़ा। रात में दिवाली की तरह पटाखे फोड़े गए। घर व दुकानों को लाइटों से सजाया गया।

कुछ अनोखी परपराएं 
देव उठनी एकादशी के दिन ग्वालीन घर-घर जाकर घर के मुय दीवार और अन्न कोठी में हाथा लिखती है यानी रंगोली बनाती है। पकवान में विशेष रूप से कुहड़े का पकवान, जिसे आम बोली में कुहड़ा पाग कहा जाता है। तुलसी विवाह में गन्ने का मंडप सजाया जाता है और अमरूद, चना भाजी, बैगन, घर में बने हुए पकवान आदि का विशेष भोग लगाया जाता है।


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