सरगुजा

मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा
08-Nov-2024 9:31 PM
 मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने खोला मोर्चा

धरना-प्रदर्शन, रैली निकालकर कलेक्टोरेट घेरा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

अम्बिकापुर, 8 नवंबर। शुक्रवार को आठ सूत्रीय मांगों को लेकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने सरगुजा संभाग मुख्यालय अंबिकापुर में हल्ला बोलते हुए धरना प्रदर्शन किया एवं हुंकार रैली निकाल कलेक्ट्रेट का घेराव किया।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कहा कि हमारी मांगे जायज है,सरकार हमारी मांग को पूरी करें। आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने अपनी मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी,मुख्यमंत्री विष्णु देव साय सहित महिला बाल विकास मंत्री एवं सचिव को ज्ञापन प्रेषित किया है।

ज्ञापन के माध्यम से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि हमें शासकीय कर्मचारी घोषित करते तक 21000/- मानदेय दिया जाऐ या प्रति वर्ष 10 प्रतिशत  मानदेय में बढ़ोतरी किया जाए। तत्काल पर्यवेक्षक भर्ती निकाली जाए, कार्यकर्ताओं को 50 प्रतिशत में योग्यता के आधार पर शतप्रतिशत पर्यवेक्षक पद पर पदोन्नत किया जाऐ या 50 प्रतिशत में आयुसीमा की छूट देते हुऐ 45+ वालों को विशेष अंक दिया जाये एवं हमारे विभाग द्वारा परिक्षा ली जाए।सहायिकाओं के मानदेय में कार्यकर्ताओं के मानदेय से 80 प्रतिशत वृद्धि कर दी जाऐ कार्यकर्ता पद पर सहायिकाओं को शतप्रतिशत पदोन्नत दिया जाएँ आयु सीमा का बंधन हटाया जाऐ एवं भर्ती नियम में संशोधन किया जाए। कार्यकर्ता सहायिकाओं को सेवा समाप्ति के बाद 10 लाख एकमुस्त राशि दी जाए।

नियमितीकरण-पंचायती राज के अधीन छत्तीसगढऱाज्य में पंचायत कर्मी, शिक्षा कर्मी, स्वास्थ्य कर्मी, पंचायत सचिवों जैसे मानसेवियों को सरकार नीति बनाकर उन्हें नियमित (शासकीय कर्मचारी) कर चुकी है, लेकिन हम आंगनबाडी कार्यकर्ता विगत 50 सालो से कार्यरत है लेकिन हम आज भी मानसेवी नहीं है। आपसे हमारी अनुरोध है कि सभी आंगनवाडी कार्यकर्ताओं को नियमित करते हुये शासकीय कर्मचारी घोषित किया जावे।

जीने लायक वेतन-शासकीय कर्मचारी घोषित करने तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को 21000/- और सहायिका को 17850/- जीने लायक वेतन स्वीकृत किया जावे। साथ ही वर्तमान में कार्यकर्ताओं को प्राप्त मानदेय 10000/- रूपये का 85 प्रतिशत राशि सहायिकाओं के लिये स्वीकत किया जावे।

3. सेवानिवृत्ति पश्चात पेंशन ग्रेज्युटी- 35-40 वर्ष विभाग की सेवा करने के बाद भी बुढ़ापे के समय जीवन यापन हेतु ना तो कोई पेंशन गिल रहा है और ना ही एकमुश्त राशि। कार्यकर्ता को 10000/- और सहायिका को 8000/- मासिक पेंशन और बुढ़ापे के शेष जीवन यापन के कार्यकर्ता को 05 लाख रूपये और सहायिका को 04 लाख रूपये एक मुश्त ग्रेच्युटी राशि प्रदान किया जाए।

समूह बीमा योजना लागू करना- भविष्य की सुरक्षा के लिये आंगनवाड़ी कार्यकर्ता सहायिका को समूह बीमा योजना में जोड़ा जाये। इस हेतु नीति निर्धारण किया जाए।

अनुकम्पा नियुक्ति-कार्यकर्ता सहायिका के आकस्मिक मृत्यु होने पर परिवार के एक सदस्य को अनुकम्पा नियुक्ति दिया जाए।

महंगाई भत्ता- मानदेय को मंहगाई भत्ता के साथ जोड़ा जाए मंहगाई भत्ता स्वीकृत किया जाए।

पदोन्नति बाबत वर्षों से अल्प मानदेय में कार्यरत आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाओं को पदोन्नति के पद रिक्त होने के बाद भी 50 प्रतिशत का प्रतिबंध होने के कारण इन्हें इसका लाम नहीं मिल रहा है। 50 प्रतिशत का बंधन को समाप्त किया जाए और कार्यकर्ता को बिना उम्र बंधन के वरिष्टता क्रम में बिना परीक्षा के सुपरवाइजर के रिक्त शत प्रतिशत पद पर लिया जावे। इसी तरह सहायिकाओं को भी 50 प्रतिशत के बंधन को समाप्त कर कार्यकर्ता के पद रिक्त होने पर शत प्रतिशत वरिष्टता क्रम में कार्यकर्ता के पद पर पदोन्नति किया जाए।

सभी केन्द्रों में गैस सिलेण्डर और चूल्हा प्रदान किया जाए और इसकी नियमित रिफिलिंग की व्यवस्था सुगम बनाया जाए।

ड्रेस कोड की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए

आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने संचालक एवं महिला बाल विकास मंत्री से मांग करते हुए बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका मानसेवी है और वह स्वयं जिस गांव में केन्द्र में पदस्थ होते है, वहीं के मतदाता, नागरिक, बहु बेटी है, इनको उस गांव के सभी जनता और हितग्राही पहचानते है इसलिये इनकी पहचान के नाम से उनके लिये ड्रेस कोड अनिवार्य किया जाना व्यवहारिक नहीं है। इसके साथ ही ड्रेस के नाम से जिस दिन किसी कारण वश पहन के नहीं आ पाते है तो उस दिन का मानदेय काटना और बैठकों में ताना भी दिया जाता है, ड्रेस कोड की अनिवार्यता को समाप्त किया जावे ।

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