कोण्डागांव

धर्मांतरण करने वालों का पूर्ण रूप से आरक्षण होना चाहिए खत्म- भोजराज
24-Sep-2021 8:55 PM
 धर्मांतरण करने वालों का पूर्ण रूप से आरक्षण होना चाहिए खत्म- भोजराज

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

केशकाल, 24 सितंबर। प्रदेश भर में हो रहे धर्मांतरण पर लगाम लगाने को लेकर अब आदिवासी समाज के जनप्रतिनिधियों ने भी अपनी आवाज बुलंद कर दी है। धर्मांतरण के विभिन्न पहलुओं को लेकर इस समस्या के निराकरण के लिए एक नया कानून बनाने के लिए सर्व आदिवासी समाज के लोग पहल कर रहे हैं। जिसकी शुरूवात केशकाल विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत बिंझे से हुई है।

बैठक में मुख्य रूप से पहुँचे जनजातीय सुरक्षा मंच छत्तीसगढ़ प्रान्त संयोजक भोजराज नाग ने गांव गांव में हो रहे लगातार धर्मांतरण को लेकर ग्राम के लोगों को अवगत कराया। साथ ही उन्होंने समाज के जनप्रतिनिधियों गायता, पटेल पुजारी, को एकजुट होकर इसे रोकने सहित धर्मांतरण हुए परिवार जनों को आदिवासी समाज से मिलने वाले आरक्षण को खत्म करने हेतु कानून बनाने की मांग करने की बात कही।

 केशकाल के पूर्व विधायक सेवकराम नेताम ने भी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि प्रशासन द्वारा 9 निर्दोष ग्रामीणों पर जबरन रिपोर्ट दर्ज करने को लेकर तीखा प्रहार किया। साथ ही उन्होंने कहा कि ग्राम के आदिवासी अगर समाज के रीति-नीति से किसी को जोडऩा चाहते हंै तो फिर लोग धर्मांतरण होकर ग्राम के रीति नीति को मानने से किसलिए मना करते हंै। हम सबको धर्मांतरण करने वालों को रोकना चाहिए ।

कार्यक्रम में मुख्य रूप से पूर्व विधायक सेवक राम नेताम, जनजाति सुरक्षा मंच के जिला संयोजक खेमलाल नेताम, हरिशंकर नेताम, मनीराम मंडावी भारतीय किसान संघ प्रदेश महामंत्री, जनपद सदस्य वीरेंद्र बघेल सहित विभिन्न ग्राम के सरपँच उप सरपंच ग्राम के गायता, पटेल पुजारी सहित बड़ी संख्या में ग्रामवासी उपस्थित थे।

ग्राम बिंझे में कुछ माह पूर्व एक महिला के शव को गांव वालों द्वारा ग्राम की भूमि में दफनाने न देने को लेकर काफी बवाल हुआ था। उक्त मामले में पुलिस ने कुछ लोगों पर कार्यवाही भी की थी। जिसको लेकर सर्व आदिवासी समाज व ग्रामवासी एकजुट होकर प्रशासन के दोहरे रवैये के खिलाफ़ जंगी प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं। 

ज्ञात हो कि विगत दिनांक 8 अप्रैल को ग्राम बिंझे में एक महिला की मौत हो जाने पर परिजनों द्वारा उसके शव को ग्राम बिंझे में ही घर के समीप दफनाया गया था। जिससे नाराज ग्रामवासियों ने शव का उत्खनन करवा दिया था। जिसके 24 घण्टे के पश्चात पुलिस द्वारा उक्त महिला के शव को केशकाल के ईसाई शमशान घाट में दफनाया गया था। आदिवासी समाज से धर्मांतरित होकर ईसाई धर्म में शामिल होने के चलते उक्त परिवार के किसी सदस्य को दफनाने हेतु जमीन देने से ग्रामवासियों ने मना कर दिया था। जिसके बाद से पुलिस द्वारा ग्राम के कुछ लोगों पर अपराध पंजीबद्ध किया था। किन्तु समाज के लोगों का कहना है कि आखिर किस आधार पर पुलिस ने ग्रामीण आदिवासियों पर केस बनाया, यह जांच का विषय है।

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