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जीएसटी भारत में औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है-कैट
05-Jan-2021 1:51 PM
जीएसटी भारत में औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है-कैट

रायपुर, 5 जनवरी। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के प्रदेश अध्यक्ष अमर परवानी, कार्यकारी अध्यक्ष मंगेलाल मालू, विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोषी, कार्यकारी महामंत्री परमानंद जैन एवं कोषाध्यक्ष अजय अग्रवाल ने बताया कि कैट ने जीएसटी कर प्रणाली की वर्तमान व्यवस्था पर बड़ा तंज कसते हुए कहा की यह अब एक औपनिवेशिक कर प्रणाली बन गई है जो जीएसटी के मूल घोषित उद्देश्य  गुड एंड सिंपल टैक्स के ठीक विपरीत है।

कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने बताया कि वर्तमान जीएसटी कर प्रणाली भारत में हो रहे  व्यापार की जमीनी हकीकत से काफी हद तक दूर है। जीएसटी के तहत विभिन्न हालिया संशोधनों और नियमों की शुरूआत ने कर प्रणाली को बेहद जटिल बना दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इज ऑफ डूइंग बिजनेस की मूल धारणा के बिलकुल खिलाफ है। कैट ने केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीथारमन से इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए समय मांगा है।

श्री पारवानी ने पिछले 4 वर्षों से अधिकारियों द्वारा जीएसटी के वर्तमान स्वरुप की कड़ी आलोचना करते हुए कहा की भारत में जीएसटी लागू होने के लगभग 4 साल बाद भी जीएसटी पोर्टल अभी भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है। नियमों में संशोधन किया गया है लेकिन पोर्टल उक्त संशोधनों के साथ समय पर अद्यतन करने में विफल है। अभी तक किसी भी राष्ट्रीय अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन नहीं किया गया है।

श्री पारवानी ने बताया कि वन नेशन-वन टैक्स के मूल सिद्धांतों को विकृत करने के लिए राज्यों को अपने तरीके से कानून की व्याख्या करने के लिए राज्यों को खुला हाथ दिया गया है। कोई केंद्रीय अग्रिम शासक प्राधिकरण का गठन नहीं किया गया है। जीएसटी अधिकारी ई सिस्टम के द्वारा कर पालना तो कराना चाहते हैं किन्तु देश में व्यापारियों के बड़े हिस्से को अपने मौजूदा व्यवसाय में कम्प्यूटरीकरण को अपनाना बाकी है, इस पर उन्होंने कभी नहीं सोचा और  व्यापारियों आदि को कंप्यूटर आदि से लैस करने के विषय में कोई एक कदम भी नहीं उठाया गया है।


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