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रायपुर, 7 सितंबर। कलिंगा विश्वविद्यालय ने बताया कि एआईसीटीई-अटल वाणी के तत्वावधान में कलिंगा विश्वविद्यालय ने अपशिष्ट अनुकूलन और स्वच्छ प्रौद्योगिकी: ठोस और ई-अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा पुनर्प्राप्ति और जलवायु परिवर्तन शमन के लिए एक स्थायी दृष्टिकोण विषय पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफलतापूर्वक आयोजन किया। इस सेमिनार में विशेषज्ञों, शिक्षाविदों, शोधकर्ताओं और छात्रों को टिकाऊ अपशिष्ट समाधानों और नवीन प्रौद्योगिकियों पर गहन चर्चा के लिए एक मंच पर लाया गया, जो एक स्वच्छ भविष्य को आकार दे सकते हैं।
कलिंगा विश्वविद्यालय में अपशिष्ट अनुकूलन और स्वच्छ प्रौद्योगिकी पर एआईसीटीई-अटल वाणी राष्ट्रीय संगोष्ठी न केवल वैज्ञानिक आदान-प्रदान के लिए एक मंच था, बल्कि अंतर-सांस्कृतिक सहयोग का उत्सव भी था। छत्तीसगढ़ में आयोजित इस सेमिनार में तमिलनाडु के प्रतिष्ठित व्याख्याताओं ने भाग लिया, जो शैक्षणिक संवाद को समृद्ध बनाने के लिए विविध क्षेत्रों को एक साथ लाने के एआईसीटीई के दृष्टिकोण का प्रतीक था और विषय-वस्तु को द्विभाषी (अंग्रेजी और तमिल) रूप में प्रस्तुत किया गया था। सेमिनार की शुरुआत मुख्य अतिथि डॉ. सी.आर. प्रसन्ना, आईएएस, माननीय राज्यपाल छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव के उद्घाटन भाषण से हुई, जिन्होंने ठोस अपशिष्ट प्रबंधन: चुनौतियां और अवसर पर एक विचारोत्तेजक व्याख्यान दिया। डॉ. प्रसन्ना ने इस बात पर जोर दिया कि शहरी भारत को प्रतिदिन 150,000 टन से अधिक नगरपालिका कचरे के प्रबंधन की चुनौती का सामना करना पड़ता है।