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नई दिल्ली, 29 जुलाई । देश में आम नागरिक तेजी से ऑनलाइन लेनदेन को अपना रहे हैं। इस कारण डिजिटल पेमेंट इंडेक्स सालाना आधार पर 10.7 प्रतिशत बढ़कर मार्च 2025 तक 493.22 पर पहुंच गया है, जो कि मार्च 2024 में 445.5 पर था। यह जानकारी आरबीआई की ओर से दी गई। केंद्रीय बैंक की ओर से 1 जनवरी, 2021 से छह-छह माह के अंतराल पर कम्पोजिट रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया - डिजिटल पेमेंट्स इंडेक्स (आरबीआई-डीपीआई) को जारी किया जाता है। इसका उद्देश्य देश में डिजिटल लेनदेन के अपनाने की दर को मापना है। केंद्रीय बैंक की ओर से कहा गया कि आरबीआई-डीपीआई इंडेक्स में बढ़त के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं, जिसमें पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर-सप्लाई साइड फैक्टर्स और पेमेंट परफॉर्मेंस शामिल हैं। आरबीआई-डीपीआई में पांच व्यापक पैरामीटर शामिल हैं जिसके माध्यम से विभिन्न समयावधियों में देश में डिजिटल भुगतान की गहनता और पैठ को मापा जाता है।
इसमें पेमेंट इनेबलर्स का भार 25 प्रतिशत, पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर - डिमांड साइड फैक्टर्स का भार 10 प्रतिशत, पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर-सप्लाई साइड फैक्टर्स का भार 15 प्रतिशत, पेमेंट परफॉर्मेंस का भार 45 प्रतिशत और उपभोक्ता केंद्रितता का भार 5 प्रतिशत है। सरकार ने हाल ही में संसद बताया था कि पिछले छह वित्त वर्षों (वित्त वर्ष 20 से वित्त वर्ष 25) में 65,000 करोड़ से अधिक डिजिटल लेनदेन हुए हैं, जिनकी वैल्यू 12,000 लाख करोड़ रुपए से अधिक रही है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि सरकार देश में टियर-2 और टियर-3 सहित डिजिटल भुगतान को अपनाने की दर बढ़ाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई), भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई), फिनटेक कंपनियों, बैंकों और राज्य सरकारों सहित विभिन्न पक्षकारों के साथ मिलकर काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आरबीआई ने टियर-3 से टियर-6 शहरों, पूर्वोत्तर राज्यों और जम्मू-कश्मीर में डिजिटल भुगतान स्वीकार करने वाले इन्फ्रास्ट्रक्चर को प्रोत्साहित करने के लिए 2021 में एक पेमेंट इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड (पीआईडीएफ) की स्थापना की है। 31 मई, 2025 तक, पीआईडीएफ के माध्यम से लगभग 4.77 करोड़ डिजिटल टचपॉइंट स्थापित किए जा चुके हैं। (आईएएनएस)