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रायपुर, 24 जुलाई। राजकुमार कॉलेज, रायपुर के उप प्राचार्य शिवेन्द्र देव ने बताया कि छत्तीसगढ़ की अन्तर्दलीय हिंदी काव्य-पाठ, भाषण एवं वाद-विवाद प्रतियोगिता 2025दो चरणों में 17 व 18जुलाई को संपन्न हुई। प्रतियोगिता के पहले दिन कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं के विद्यार्थियों ने तथा दूसरे दिन कक्षा नवमीं, दसवीं, ग्यारहवीं व बारहवीं के विद्यार्थियों ने समूह अ, ब तथा स में अपनी-अपनी काव्य-पाठ, कहानी वाचन, भाषण, कहानी समीक्षाव वाद-विवाद की प्रस्तुतियाँ दीं।
श्री देव ने बताया कि बारहवीं के विद्यार्थियों के वाद-विवाद का विषय था-अभियक्ति की स्वतंत्रता सर्वव्यापी है। कहानी समीक्षा में हिंदी की सुप्रसिद्ध कहानीकार महादेवी वर्मा की कहानियों की समीक्षा प्रतिभागियों द्वारा की गई। समूह ‘अ’कक्षा बारहवीं में सर्वश्रेष्ठ वाद-विवाद कर्ता के लिए श्री देवी सिंह चौहान कप विजेता राणा दल की ख़ुशी साव रहीं। कक्षा ग्यारहवीं में काव्य पाठ के लिएराजपूत दल के आरुष अग्रवालको और कहानी समीक्षा के लिए बिक्रम दल की हरसिफत कौर को पुरस्कृत किया गया।
श्री देव ने बताया कि समूह ‘ब’ कक्षा नवमीं व दसवीं में काव्य पाठ के लिए बिक्रम दल केचैतन्य मोडक़ को पुरस्कृत किया गया तथा भाषण के लिए बिक्रम दल के सिद्धांत पोद्दार को चुना गया। समूह ‘स’ कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं मेंकाव्य पाठ विजेता बिक्रम दल की हिरण्याजैन व सर्वश्रेष्ठ कहानी वाचक राजपूत दल की विजेता इशिका सिदार रहीं। श्री राणा बहादुर झलावार राज्य द्वारा प्रदत्त झालावार कप का विजेता बिक्रम दल रहा।
श्री देव ने बताया कि प्रतियोगिता में दलों की स्थिति इस प्रकार रही- प्रथम स्थान- बिक्रम दल, द्वितीय- राणादल, तृतीय- राजपूत दल और चतुर्थ- आर्यदल। निर्णायक मंडल के सदस्यों के रूप में प्रथम दिवस के निर्णायक आर. जे. ऋचा वर्मा, श्री चंद्रमोहन द्विवेदी और ताबीर हुसैन रहे। द्वितीय दिवस पर आर. जे. ऋचा वर्मा, श्री प्रफुल्ल ठाकुर और ताबीर हुसैन उपस्थित रहे।
श्री देव ने बताया कि समूह अ, ब और स के विजेताओं को प्राचार्य कर्नल अविनाश सिंह व निर्णायक मंडल ने पुरस्कृत किया तथा शेष प्रतिभागियों की भूरि-भूरि प्रशंसा की। उक्त कार्यक्रम विद्यार्थियों के वाचन कौशल को बढ़ावा देने के लिए प्रतिवर्ष आयोजित किया जाता है। उक्त कार्यक्रम मेंप्राचार्य महोदय,उप प्राचार्य महोदय, विद्यालयीन छात्र, अभिभावक व शिक्षकवृंद उपस्थित रहे।
श्री देव ने बताया कि सभी ने विद्यार्थियों की प्रस्तुतियों को सराहा। निर्णायक मण्डल ने कहा कि वे छात्रों के बोलने की कला से बेहद प्रभावित हुए हैं, विशेषकर शुद्ध हिंदी का उच्चारण सराहनीय है7 प्राचार्य महोदय ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहाकि छात्रों को मंचीय प्रस्तुतियों में भाग लेते रहना चाहिए ताकि उनकी बोलने की कला का विकास हो सके।