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शैक्षणिक सहयोग और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने आईआईएम-यूनिवर्सिटी ऑफ वूल्वरहैम्प्टन एमओयू
07-Oct-2024 1:11 PM
शैक्षणिक सहयोग और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने आईआईएम-यूनिवर्सिटी ऑफ वूल्वरहैम्प्टन एमओयू

रायपुर, 7 अक्टूबर। आईआईएम रायपुर ने बताया कि भारतीय प्रबंध संस्थान (भा.प्र.सं.) रायपुर और यूनिवर्सिटी ऑफ वूल्वरहैम्प्टन ने एक रणनीतिक रूप से तैयार किए गए समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर कर साझेदारी को औपचारिक रूप से स्थापित किया। यह समझौता शैक्षणिक सहयोग को सुदृढ़ करने, अनुसंधान पहलों को प्रोत्साहित करने और दोनों संस्थानों के छात्रों और शिक्षकों के बीच आदान-प्रदान कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए बनाया गया है।

आईआईएम रायपुर ने बताया कि  इस एमओयू (समझौता ज्ञापन) पर भा.प्र.सं. रायपुर के निदेशक प्रोफेसर राम कुमार काकानी और यूनिवर्सिटी ऑफ वूल्वरहैम्प्टन के वाइस-चांसलर प्रोफेसर इब्राहीम आदिया ने हस्ताक्षर किए। यह साझेदारी उच्च शिक्षा में उत्कृष्टता को आगे बढ़ाने का एक प्रमुख मील का पत्थर है, क्योंकि दोनों संस्थान विशेषज्ञता, संसाधनों और अनुसंधान क्षमताओं का आदान-प्रदान करने का वचन देते हैं, जिससे उनके छात्रों और शिक्षकों के लिए शैक्षणिक यात्रा को बेहतर बनाया जा सके।

आईआईएम रायपुर ने बताया कि इस अवसर पर बोलते हुए, प्रोफेसर राम कुमार काकानी ने आज के शैक्षणिक परिदृश्य में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा, यह रूश न केवल आईआईएम रायपुर और यूनिवर्सिटी ऑफ वूल्वरहैम्प्टन के बीच शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करेगा बल्कि हमारे छात्रों और शिक्षकों के लिए ज्ञान आदान-प्रदान, अनुसंधान सहयोग और क्रॉस-कल्चरल लर्निंग अनुभवों के नए मार्ग खोलेगा। 

आईआईएम रायपुर ने बताया कि हमारा लक्ष्य छात्रों और शोधकर्ताओं के लिए ऐसे अवसर प्रदान करना है जो हमारे दोनों समुदायों पर दीर्घकालिक प्रभाव डालें। इस समझौते का ध्यान कई प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित होगा, जिनमें संयुक्त अनुसंधान परियोजनाएँ, ड्यूल डिग्री प्रोग्राम, फैकल्टी विकास कार्यक्रम, छात्र आदान-प्रदान पहल और नवीन शैक्षिक कार्यक्रमों का विकास शामिल है। 

आईआईएम रायपुर ने बताया कि एमओयू (समझौता ज्ञापन) में संयुक्त सेमिनार, कार्यशालाएँ और सम्मेलन आयोजित करने का प्रावधान भी शामिल है, जिससे ज्ञान साझा करने और सहयोग को प्रोत्साहन मिले। इस समझौते से दोनों संस्थानों की वैश्विक दृश्यता और पहुंच को बढ़ाने की उम्मीद है, जिससे विभिन्न शैक्षणिक और अनुसंधान क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग के रास्ते खुलेंगे।


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