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एचएनएलयू में संविधान ऐट 75 सम्मेलन आयोजित
रायपुर, 30 सितंबर। हिदायतुल्लाह राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एचएनएलयू), रायपुर ने बताया कि संविधान ऐट75 एचएनएलयू शृंखला के एक हिस्से के रूप में सुशासन की दिशा: संविधान, नीति, और समावेशिता पर सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, न्यायमूर्ति सैम कोशी, न्यायाधीश तेलंगाना उच्च न्यायालय और एचएनएलयू के सामान्य परिषद के सदस्य ने कहा, शासन के संस्थान में एक मानक और मूल्यांकनात्मक दृष्टिकोण होना चाहिए।
एचएनलयू ने बताया कि विधि का शासन, मानवाधिकारों का पूर्ण सम्मान और समाज के हर वर्ग की प्रभावी भागीदारी की आवश्यकता है। इसलिए, इसे बनाए रखने के लिए पारदर्शिता, जवाबदेही और बहु-एजेंसी भागीदारी की दिशा में प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने विशेष रूप से संघर्ष और अशांति प्रवण क्षेत्रों में पुलिस अधिकारियों की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी पर बल दिया और कानून प्रवर्तन और समावेशिता के बीच आपसी संबंध पर प्रकाश डालते हुए एक ऐसा दृष्टिकोण अपनाने का समर्थन किया जो सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के साथ व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा भी करता हो।
एचएनलयू ने बताया कि सम्मेलन के उद्घाटन उद्बोधन में एचएनएलयू के कुलपति प्रो. विवेकानंदन ने संविधान के कार्यान्वयन में समावेशिता की पांच प्रमुख चुनौतियों - जातीय भेदभाव, लैंगिक भेदभाव, धार्मिक समानता, आर्थिक विषमता और सार्वभौमिक शिक्षा के अधिकार पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान एक दूरदर्शी दस्तावेज है और चुनौती यह है कि इसे उसी भावना में संचालित किया जाए जिसमें प्रवर्तन अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। उद्घाटन समारोह में सम्माननीय अतिथि श्री अशोक जुनेजा ने विशेष रूप से हाशिये पर पड़े वर्गों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और अन्य कमजोर वर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर जोर दिया।