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रायपुर, 22 सितंबर। एमएमआई नारायणा अस्पताल ने बताया कि रायपुर के 36 वर्षीय व्यक्ति ने अस्पताल में समय पर उपचार मिलने के बाद मेलियोइडोसिस, जो एक दुर्लभ लेकिन घातक संक्रमण है, से पूरी तरह ठीक हो गए हैं। हाल ही में मधुमेह से ग्रस्त हुए इस मरीज को तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में कठिनाई के साथ भर्ती कराया गया था। एक सप्ताह पहले उन्होंने एक झरने में स्नान किया था, जिसे डॉक्टरों ने बाद में संक्रमण का संभावित स्रोत बताया।
अस्पताल ने बताया कि भर्ती होने पर व्यक्ति को दोनों फेफड़ों में निमोनिया था, साथ ही लिवर और किडनी से संबंधित जटिलताओं के संकेत मिले। उसकी हालत गंभीर थी और सांस लेने में सहायता के लिए उसे नॉन-इनवेसिव वेंटिलेशन की जरूरत थी। डॉक्टरों ने मौसमी संक्रमण का संदेह करते हुए उसे तुरंत एंटीबायोटिक्स देना शुरू कर दिया।
अस्पताल ने बताया कि उपचार शुरू करने के एक दिन बाद, रक्त परीक्षण में *Burkholderiapseudomallei* नामक बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता चला, जो मेलियोइडोसिस का कारण बनता है। यह संक्रमण, हालांकि दुर्लभ है, समय पर निदान न होने पर जानलेवा हो सकता है। मरीज को तुरंत लक्षित एंटीबायोटिक्स दिए गए, जिसे डॉक्टरों ने आगे की जटिलताओं, जैसे सेप्टिक शॉक या अंगों की विफलता को रोकने के लिए महत्वपूर्ण कदम बताया।
अस्पताल ने बताया कि डॉक्टर्सकी टीमजिसमेछाती रोगविशेषज्ञ (डॉ दीपेश मस्के, डॉ वर्षा), किडनी वशेषज्ञ (डॉसुनीलधर्माणी), फिजिशियन ( डॉराजेंद्रपरघानिया, डॉ मुकेश शर्मा) एवं क्रिटिकल केयर स्पेशलिस्ट (डॉप्रदीपशर्मा, डॉजयप्रकाशयादव) केद्वारापांच दिन के गहन इलाज के बाद मरीज की हालत में सुधार होने लगा।
अस्पताल ने बताया किउसकी ऑक्सीजन की जरूरत कम हो गई, और लिवर तथा किडनी की कार्यक्षमता सामान्य होने लगी। दसवें दिन उसे दवाइयों के साथ अस्पताल से छुट्टी दे दी गई वह पूरी तरह से ठीकहै। डॉक्टर का कहना है की जल्दी निदान और सही इलाज ने इस मरीज की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई। यहां मेलियोइडोसिस असामान्य है, लेकिन बरसात के मौसम में बढ़ते मामलों के साथ, समय पर चिकित्सा सहायता बेहद जरूरी है। मेलियोइडोसिस एक संक्रामक रोग है, जो मिट्टी और पानी में पाए जाने वाले बैक्टीरिया से होता है, खासकर मानसून के दौरान। हालांकि यह दुर्लभ है, लेकिन मधुमेह के रोगी, जैसे इस मामले में मरीज, अधिक जोखिम में होते हैं।