कारोबार
रायपुर, 16 सितंबर। कलिंगा विश्वद्यिालय ने बताया कि प्रति वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है ताकि इस अवसर को याद किया जा सके और हिंदी भाषा के प्रसार और विकास पर जोर दिया जा सके। 14 सितंबर 1949 को हिंदी को भारत गणराज्य की आधिकारिक भाषा के रूप में मान्यता दी गई थी। यह दिन हिंदी की समृद्ध साहित्यिक विरासत और भारत के कई भाषाई अल्पसंख्यकों को एक साथ लाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाता है।
विश्वद्यिालय ने बताया किकलिंगा विश्वविद्यालय के कला एवं मानविकी संकाय के अंतर्गत शहीद वीरनारायण सिंह शोधपीठ के तत्वावधान में हिन्दी दिवस समारोह पर भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम और रचनात्मक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य अतिथि के रुप में प्रसिद्ध हिन्दी साहित्यकार और शासकीय नवीन महाविद्यालय, तामासिवनी के प्राचार्य डॉ.आनंद शंकर बहादुर उपस्थित थें।
विश्वद्यिालय ने बताया कि समारोह का शुभारंभ मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ. आनंद शंकर बहादुर, डॉ. लिंसी रॉय- कलिंगा विश्वविद्यालय की उप कुलसचिव और एचआर विभागाध्यक्ष, डॉ. अभिजीत शर्मा- कलिंगा इनक्यूबेशन सेंटर के सीओओ, डॉ. शिल्पी भट्टाचार्य- कला एवं मानविकी संकाय की अधिष्ठाता, लेफ्टिनेंट विभा चंद्राकर- छात्र कल्याण प्रकोष्ठ की प्रभारी अधिष्ठाता और डॉ. विनीता दीवान- अंग्रेजी विभाग की सह प्राध्यापक की उपस्थिति में माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण से किया गया।
विश्वद्यिालय ने बताया कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंतर्गत प्रथम चरण में कलिंगा विशवविद्यालय के विद्यार्थियों के द्वारा जंगल में औरत (संगीत नाटिका) का प्रदर्शन किया गया। जिसमें महिलाओं के प्रति होने वाले अत्याचारों पर संदेशपरक नाटक का प्रदर्शन किया गया। शानदार तरीके से इस सजीव प्रदर्शन ने समस्त दर्शकों का मन मोह लिया। इसी क्रम में विद्यार्थियों के द्वारा फकरु के अरमान (हास्य नाटिका) का प्रदर्शन किया गया। जिसकी बेहतरीन प्रस्तुति से सभागार में उपस्थित सभी दर्शकों ने खूब आनंद उठाया।


