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रायपुर, 8 अगस्त। श्री रावतपुरा सरकार यूनिवर्सिटी ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्रमें पैरामेडिकल विज्ञान के दक्ष विशेषज्ञों की महती आवश्यकता है7 राज्य में विभिन्न शासकीय एवं गैर शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय तथा चिकित्सालयों की सफलता निदान प्रक्रिया पर निर्भर करता है। पैरामेडिकल स्टाफ की दक्षता से चिकिस्तक रोगी की बीमारी पर सही उपचार को अंतिम रूप देते हैं।
यूनिवर्सिटी ने बताया कि ऑप्टोमेट्री (आंख की जांच) हेतु स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के पाठ्यक्रम एवं बी.एस.सी. एम.एल.टी. के पाठ्यक्रम संचालित हैं।यूनिवर्सिटी से उत्तीर्ण विद्यार्थियों का पैरामेडिकल काउंसिल में पंजीयन नहीं किया जा रहा था। जिस कारण ये विद्यार्थी छत्तीसगढ़ शासन के शासकीय नौकरी से वंचित हो रहे थे। इस पर व्यथित होकर उत्तीर्ण विद्यार्थियों द्वारा उच्च न्यायालय बिलासपुर में प्रकरण क्र.ङ्खक्कष्ट हृश. 49 शद्घ 2024 एवं ङ्खक्कष्ट 89 शद्घ 2024 याचिका दायर की थी, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा सभी पक्षों की सुनवाई उपरांत निर्णय दिया गया।
यूनिवर्सिटी ने बताया कि तथ्यों और उपरोक्त प्रस्तुत प्रस्तुतियों को ध्यान में रखते हुए, यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय को डिग्री प्रदान करने का अधिकार है और प्रतिवादी नंबर 2 छत्तीसगढ़ पैरामेडिकल काउंसिल 2024:ष्टत्र॥ष्ट:16723 तटस्थ उद्धरण 6 के नाम की प्रविष्टियों पर विचार करने और पंजीकृत करने का अधिकार है। पैरामेडिकल के चिकित्सक, विश्वविद्यालय ने याचिकाकर्ताओं को यूजीसी की धारा 22(1) के अनुसार डिग्री प्रदान की है। अधिनियम, 1956 और पैरामेडिकल काउंसिल ने याचिकाकर्ताओं के नाम पंजीकृत नहीं किए हैं।
यूनिवर्सिटी ने बताया कि इस समय, प्रतिवादी नंबर 2 को इस निर्देश के साथ याचिका का निपटारा किया जाता है कि वह इस संबंध में प्रविष्टियां करके याचिकाकर्ताओं को परिषद के रजिस्टर में उनका नाम दर्ज करके पंजीकरण प्रदान करें। रजिस्टर में याचिकाकर्ताओं का नाम उचित समय तक रखा और बनाए रखा जाए। प्रतिवादी नंबर 2 को प्रैक्टिस का अपेक्षित प्रमाणपत्र जारी करने का भी निर्देश दिया जाता है।