बिलासपुर
अंबिकापुर में सरगुजा संभागीय न्यायिक सेमिनार का आयोजन
छत्तीसगढ़' संवाददाता
बिलासपुर, 24 नवंबर। छत्तीसगढ़ राज्य न्यायिक अकादमी की ओर से सरगुजा संभाग के न्यायिक अधिकारियों के लिए अंबिकापुर के नए सर्किट हाउस में एक दिवसीय न्यायिक सेमिनार आयोजित किया गया। सरगुजा के पांच जिलों अंबिकापुर, बैकुंठपुर, जशपुर, बलरामपुर-रामानुजगंज और सूरजपुरसे कुल 69 न्यायिक अधिकारियों ने इसमें भाग लिया।
कार्यक्रम का उद्घाटन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा ने वर्चुअल माध्यम से किया। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका लोकतंत्र की मजबूत नींव है और न्यायाधीश का आचरण ही लोगों के मन में न्याय की छवि बनाता है। बढ़ते मामलों और जटिल विवादों को देखते हुए न्यायिक अधिकारियों को अधिक संवेदनशील, ज्ञानवान और नैतिक रूप से सशक्त होना जरूरी है।
मुख्य न्यायाधिपति ने कहा- न्याय केवल प्रणालियों और प्रक्रियाओं से नहीं होता, यह न्यायाधीश के अंतःकरण से निकलता है। उन्होंने सभी अधिकारियों से जनता के विश्वास का सम्मान करते हुए सत्यनिष्ठा, अनुशासन और न्यायिक नैतिकता को सर्वोपरि रखने की अपील की।
सेमिनार में न्यायमूर्ति राधाकिशन अग्रवाल, न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार वर्मा ने भी वर्चुअल उपस्थिति दर्ज कराई। उन्होंने न्यायिक प्रक्रिया में आ रही चुनौतियों पर अपने विचार साझा किए।
प्रतिभागियों द्वारा अनुपस्थित अभियुक्तों से संबंधित नए प्रावधान और प्रक्रियागत चुनौतियां, संविदा के विशिष्ट पालन का सिद्धांत और सुप्रीम कोर्ट के नवीनतम फैसले, सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 7 नियम 10 और 11 के तहत न्यायालय की सक्षमता व वादपत्र अस्वीकृति, गिरफ्तारी, रिमांड और जमानत पर सुप्रीम कोर्ट के सतेन्द्र कुमार अंतिल व सिद्धार्थ मामलों के निर्देश तथा डिक्री के क्रियान्वयन हेतु गिरफ्तारी, निरोध और संपत्ति कुर्की की प्रक्रिया पर प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम में उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल और रजिस्ट्री अधिकारियों की भी वर्चुअल उपस्थिति रही। स्वागत भाषण प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश, अंबिकापुर ने दिया, जबकि समापन धन्यवाद प्रस्ताव प्रथम जिला एवं अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, अंबिकापुर ने प्रस्तुत किया।


