बिलासपुर
छह महीने से इंजन में नहीं था कैमरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 10 नवंबर। गेवरारोड-बिलासपुर मेमू ट्रेन हादसे की जांच में दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे की गंभीर लापरवाही उजागर हुई है। जांच में यह तथ्य सामने आया कि जिस मेमू ट्रेन की टक्कर मालगाड़ी से हुई थी, उसके मोटर कोच (इंजन) में सीसीटीवी कैमरा पिछले छह महीनों से लगा ही नहीं था। इसके पहले यह जानकारी बाहर आ ही चुकी है कि लोको पायलट विद्यासागर को एक माह पहले ही पैसेंजर ट्रेन चलाने की जिम्मेदारी, प्रमोशन मिलने के बाद दी गई थी और वह साइको टेस्ट में फेल हो गया था।
सूत्रों के अनुसार, इंजन में पहले लगा कैमरा छह महीने पहले खराब हो गया था। इसके बाद नया कैमरा लगाने का प्रस्ताव संबंधित विभाग ने तैयार कर जोनल कार्यालय भेजा था, लेकिन अकाउंट सेक्शन ने उस प्रस्ताव को बिना किसी कारण बताए रोक दिया। नतीजतन, यह ट्रेन बिना कैमरे के ही यात्रियों को लेकर लगातार चलती रही।
हादसे की जांच कर रहे रेलवे सुरक्षा आयुक्त (सीआरएस) ने इस मामले को अत्यंत गंभीर माना है। जांच के दौरान जब अधिकारियों ने इंजन की फुटेज मांगी तो पता चला कि कैमरा था ही नहीं।
जांच टीम ने प्रयागराज स्थित रेलवे रिसर्च ऑर्गनाइजेशन से तकनीशियन एकलव्य पाठक को बुलवाया था ताकि ट्रेन के अन्य कोचों में लगे कैमरों से डाटा निकाला जा सके। उन्होंने सफलतापूर्वक फुटेज तो निकाला, लेकिन उसमें इंजन के अंदर के हालात रिकॉर्ड नहीं थे। सीआरएस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि अगर इंजन कैमरा चालू होता, तो यह साफ हो जाता कि हादसे के अंतिम क्षणों में लोको पायलट और सहायक पायलट ने क्या प्रयास किए थे।
मालूम हो कि दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन के लोको पायलट विद्यासागर का एक माह पहले ही प्रमोशन किया गया था। इसके पहले वे मालगाड़ी चलाते थे। पैसेंजर ट्रेनों को चलाने के पहले साइलॉकिजकल टेस्ट लिया जाता है, जिसमें फेल होने के बावजूद विद्यासागर को रेलवे के अफसरों ने पैसेजर ट्रेन चलाने के काम में लगा दिया था।


