बिलासपुर

शिक्षा विभाग घोटाले की जांच, 300 से अधिक शिक्षकों के बयान
13-Sep-2024 4:36 PM
शिक्षा विभाग घोटाले की जांच, 300 से अधिक शिक्षकों के बयान

रिश्वत देने का सबूत मांगा जा रहा इसलिए बच जाएंगे आरोपी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 13 सितंबर।
छत्तीसगढ़ में शिक्षा विभाग के पोस्टिंग प्रमोशन घोटाले की जांच में 300 से ज्यादा शिक्षकों ने बयान दर्ज कराए हैं, लेकिन कोई भी रिश्वत देने की बात कहने या लिखकर देने को तैयार नहीं है, क्योंकि रिश्वत का लेन-देन लिखित में नहीं किया गया था।

जांच टीम आरोपित जॉइंट डायरेक्टर और क्लर्क के सामने ही शिक्षकों से पूछताछ कर रही है कि क्या उन्होंने किसी प्रकार का लेन-देन किया। शिक्षकों को एक फॉर्म भरने के लिए कहा गया जिसमें लेन-देन की जानकारी देनी थी, लेकिन किसी ने भी इस कॉलम में जानकारी नहीं दी। यह स्थिति आरोपियों के पक्ष में है।

12 सितंबर को जब लिखित बयान लेने की प्रक्रिया शुरू हुई, तो कुछ शिक्षकों ने जांच अधिकारियों से सवाल किया कि टी संवर्ग को बयान के लिए क्यों नहीं बुलाया गया। टी संवर्ग पर भी गड़बड़ी के आरोप थे। हालांकि, इन शिक्षकों ने लिखित में तो नहीं, लेकिन मौखिक रूप से शिकायत की कि संभाग भर में लगभग 800 टी संवर्ग के शिक्षकों का तबादला किया गया था।

जांच की प्रक्रिया में पारदर्शिता का दावा किया जा रहा है, लेकिन सवाल यह रहा है कि ये प्रक्रिया तो आरोपियों को बचाने का तरीका बन रही हैं। प्रश्नावली में शिक्षकों से पूछा गया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग के लिए पैसे दिए या कोई लेन-देन किया गया, और यदि किया गया है तो उसके सबूत भी मांगे गए। यही नहीं, यह सवाल आरोपियों की उपस्थिति में किया जा रहा है और केवल ई संवर्ग से पूछताछ की जा रही है, टी संवर्ग को जांच से बाहर रखा गया है।

गुरुवार को को तारबाहर स्थित जेडी कार्यालय में शिक्षकों की लंबी कतारें लगी रहीं। वहां अतिरिक्त संचालक एससीईआरटी जेपी रथ, सहायक संचालक भूपेंद्र कौशिक, जेडी एसके प्रसाद और क्लर्क विकास तिवारी मौजूद थे। 13 सितंबर को 399 शिक्षकों को जेडी कार्यालय में बुलाया गया है।
 


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