बिलासपुर

भूमि आवंटन नीति का लाभ किन लोगों को मिला, शपथ पत्र के साथ बताए सरकार-हाईकोर्ट
18-Apr-2022 10:04 PM
भूमि आवंटन नीति का लाभ किन लोगों को मिला, शपथ पत्र के साथ बताए सरकार-हाईकोर्ट

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 18 अप्रैल।
राज्य सरकार की भूमि आवंटन नीति को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकार को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है कि किन व्यक्तियों को भूमि आवंटित की गई।

उल्लेखनीय है कि राज्य शासन ने 11 सितंबर 2019 को एक आदेश जारी कर 7500 वर्ग फुट तक सरकारी जमीन के आवंटन का अधिकार कलेक्टरों को दिया है। इसके तहत कलेक्टर बिना किसी नीलामी के प्राप्त आवेदन के आधार पर भूमि आवंटित कर सकते हैं।

शासन की इस नीति को भाजपा नेता सुशांत शुक्ला, पूर्व विधायक नवीन मार्कंडेय, मधुकर द्विवेदी और अन्य लोगों में हाईकोर्ट में जनहित याचिका के माध्यम से अलग-अलग चुनौती दी है जिनकी एक साथ सुनवाई चीफ जस्टिस की डबल बेंच में चल रही है।

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि 7500 वर्गफीट तक भूमि आवंटन का अधिकार कलेक्टर को दिया जाना अवैधानिक है। इस बारे में सुप्रीम कोर्ट ने अखिल भारतीय उपभोक्ता कांग्रेस विरुद्ध मध्य प्रदेश शासन के केस में, 2011 में आदेश भी पारित किया है। राज्य शासन की इस नीति से खास लोगों को फायदा पहुंच रहा है और उन्हें 15 से 20 हजार वर्ग फीट की जमीन आवंटित कर दी जा रही है। राजस्व पुस्तक परिपत्र में संशोधन कर सरकारी विभागों से पूछा जा रहा है कि रिक्त शासकीय भूमि की उन्हें भविष्य में जरूरत नहीं हो तो बताएं। विभागों के मना करने के साथ ही निजी लोगों के आवेदन स्वीकार कर लिए जा रहे हैं। इस तरह से भूमि आवंटन किया जाना संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 तथा समाजवाद व समता के अधिकार का भी उल्लंघन है। याचिका में गरीबों और पिछड़े वर्ग के लोगों के लिए भी जमीन सुरक्षित रखने की मांग की गई है।

सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस अरुप कुमार गोस्वामी और जस्टिस आरसीएस सामंत की खंडपीठ ने छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब दाखिल करने कहा है। कोर्ट के समक्ष शासन को नाम, पते के साथ आवंटित जमीन और व्यक्तियों का विवरण प्रस्तुत करने कहा है।


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