बिलासपुर
विद्यार्थियों के लिए नर्सिंग के क्षेत्र में भविष्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर,13 दिसंबर। अन्य शिक्षण क्षेत्रों की अपेक्षा नर्सिंग क्षेत्र में छात्राओं के लिए सुनहरा अवसर होता है नर्सिंग / चिकित्सा क्षेत्र में जी.एन.एम. पाठ्यक्रम के सत्र 2020 के बाद बंद होने की चर्चा हो रही थी किन्तु छ.ग. राज्य के निजी नर्सिंग महाविद्यालयों द्वारा जी.एन.एम. पाठ्यक्रम को बंद नहीं करने की कोशिश की जा रही थी जिसके लिए निजी नर्सिंग महाविद्यालय को छ.ग. उच्च न्यायालय की शरण भी लेनी पड़ी जिसका निर्णय निजी नर्सिंग महाविद्यालय के पक्ष में रहा कि जी.एन.एम पाठ्यक्रम पूर्व की तरह ही संचालित होगा। इसकी जानकारी छ.ग. राज्य नर्सिंग महाविद्यालय संघ के उपाध्यक्ष विशाल दीक्षित द्वारा दी गई। जहाँ एक ओर ए.एन.एम. पाठ्यक्रम को शासन द्वारा बंद कर दिया गया था उसी तर्ज पर जी.एन.एम. पाठ्यक्रम को भी बंद करने की राय बनाई गई थी।
कई वर्षों से जी.एन.एम. पाठ्यक्रम नर्सिंग के क्षेत्र में ऐसा पाठ्यक्रम रहा है जिसमें 12वीं किसी भी संकाय के इच्छुक विद्यार्थी जी.एन.एम. नर्सिंग पाठ्यक्रम में प्रवेश ले कर नर्सिंग के क्षेत्र में अपना भविष्य बना सकते हैं। जहाँ बी.एस.सी. नर्सिंग हेतु 12वीं बायोलॉजी के विद्यार्थियों को ही प्रवेश की अनुमति होती है वहाँ जी.एन.एम. नर्सिंग पाठ्यक्रम अन्य संकाय के विद्यार्थियों के लिए नर्सिंग के क्षेत्र में भविष्य बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम है। निजी नर्सिंग महाविद्यालय संघ छ.ग. के अथक प्रयास द्वारा जी.एन.एम. पाठ्यक्रम को छग शासन द्वारा पुन: संचालन करने की स्वीकृति प्रदान हुई जिसका निजी नर्सिंग महाविद्यालय छ.ग. स्वागत करते हुए छ.ग. शासन व स्वास्थ्य विभाग को धन्यवाद ज्ञापित करता है।
इसी तारतम्य में पं. गोकुल कमला मेमोरियल एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित बिलासपुर में आयुष कॉलेज ऑफ नर्सिंग एवं आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कुनकुरी जिला जशपुर में अपार इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग विगत 13 वर्षों से चिकित्सा के क्षेत्र में अपना योगदान दे रही हैं। आज अस्पतालों या नर्सिंग होम्स, इंडस्ट्रीयल नर्सिंग, हॉस्पीटल मेनेजमेंट, विद्यालयों एवं महाविद्यालयों जैसे कई अन्य भी है जो विद्यार्थी विज्ञान विषय से अलग अन्य किसी भी विषय से 12वीं उत्तीर्ण हुए जी.एन.एम. नर्सिंग करने के पश्चात् आगे नर्सिंग में अपना भविष्य बना सकते हैं आगे के अध्ययन हेतु 2 वर्षीय पाठ्यक्रम पोस्ट बेसिक बी.एस.सी. का अध्ययन कर बी.एस.सी. नर्सिंग के बराबर आने के साथ आगामी नर्सिंग के क्षेत्र में निरंतर अध्यापन कर सकते हैं। साथ ही एम.एस.सी. नर्सिंग, एम. फील व पी.एच.डी. तक पढ़ा जा सकता है जिसका कॉफी अच्छा कार्यक्षेत्र हैं।
आज जहां सारा विश्व कोरोना से ग्रस्त हैं वहाँ आप देख सकते है मरीजो के साथ पूरे समय नर्सेस ही रह रही है चाहे आप जॉच हो या फिर आई.सी.यू. आप उन्हें ही पायेंगे लेकिन आप यदि अनुमान करें तो अभी भी नर्सों का अनुपात 1:3 व 14 का हैं मतलब 3-4 मरीजो के पीछे एक नर्स का हैं यदि देखा जाये तो अभी की स्थिति में 10-20 मरीजों के पीछे एक नर्स हैं इससे यह ज्ञात होता है कि अभी भी नर्सों की कमी लगातार बनी हुई हैं।
2030 तक देश को कुल 60 लाख नर्सों की जरूरत होगी व्यवसाय बहुत है पर हमें सोचना है और समझना है कि केवल पढ़ लेना पर्याप्त नहीं है पढ़ाई के साथ-साथ जीवन में सिर्फ उपाधि (डिग्री) नहीं बल्कि नौकरी की भी आवश्यकता होती हैं।नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश हेतु बी.एस.सी. नर्सिंग प्रवेश परीक्षा देना अत्यंत आवश्यक होता है। जबकि जी.एन.एम. नर्सिंग प्रवेश हेतु छात्र छात्राओं को 12वीं की परीक्षा किसी भी विषय में पढऩा होता है ऐसे विद्यार्थी को जी.एन.एम. नर्सिंग प्रवेश के लिए छ.ग. चिकित्सा शिक्षा रायपुर द्वारा काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूर्ण कर विद्यार्थी को नर्सिंग कॉलेज में प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण कर कॉलेज में प्रवेश दिया जाता है। भारतीय उपचर्या परिषद् नई दिल्ली एवं छग चिकित्सा शिक्षा रायपुर द्वारा सत्र 2020-2021 से कॉलेज का सत्र सितम्बर से प्रारंभ किया जाना निश्चित कर दिया गया है। उक्त जानकारी आयुष कॉलेज ऑफ नर्सिंग, लालखदान बिलासपुर के मैनेजर अनिल कुमार डांगरे द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में दी ई।


