बीजापुर

बिरसा मुंडा जयंती पर अबूझमाड़ में बाहरी बसावट पर रोक की उठी मांग
15-Nov-2025 9:57 PM
बिरसा मुंडा जयंती पर अबूझमाड़ में बाहरी बसावट पर रोक की उठी मांग

 सर्व आदिवासी समाज ने सीएम और राज्यपाल के नाम सौंपा ज्ञापन 

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

 बीजापुर, 15 नवंबर। सर्व आदिवासी समाज ने शनिवार को भैरमगढ़ में एक विशाल रैली निकाल कर एसडीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नाम विस्तृत मांग पत्र सौंपा। समाज ने पाँचवीं अनुसूची के प्रावधानों के अनुरूप आदिवासी क्षेत्रों में कानूनी, प्रशासनिक और आर्थिक सुधार तत्काल लागू करने की आवश्यकता बताई।

 जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी ने टीएसी की बैठक जल्द बुलाने, आदिवासी भूमि सुरक्षा कानून, ग्राम सभा को अधिकार, डीएमएफ व टीएसपी राशि के सीधे हस्तांतरण तथा अबूझमाड़ में बाहरी बसावट पर रोक जैसी प्रमुख मांगें रखीं। समाज ने कहा कि इन सुधारों से बस्तर में शांति और न्याय सुनिश्चित होगा।

भगवान बिरसा ने पारंपरिक हक को कानूनी संरक्षण दिया - मंडावी

ज्ञापन सौंपे जाने से पूर्व भैरमगढ़ के पुराने बाजार स्थल पर आयोजित विशाल आम सभा को संबोधित करते  हुए बीजापुर विधायक विक्रम मंडावी ने सभा को संबोधित करते कहा कि बिरसा मुंडा ने उस समय आवाज उठाई, जब अंग्रेज सरकार, साहूकारों और जमींदारों द्वारा आदिवासियों की जमीन छिनी जा रही थी। उन्होंने कहा कि अबुआ दिसुम, अबुआ राज, अर्थात हमारी धरती पर हमारा ही अधिकार होना चाहिए। बिरसा का मानना था कि जमीन केवल आर्थिक साधन नहीं, बल्कि आदिवासी जीवन, संस्कृति और अस्तित्व की आधारशिला है।

उनके नेतृत्व में चला उलगुलान (महाविद्रोह) आदिवासी समाज की भूमि और स्वाभिमान की रक्षा का ऐतिहासिक आंदोलन बन गया। इसी संघर्ष का परिणाम था कि अंग्रेज सरकार को छोटानागपुर काश्तकारी अधिनियम 1908 लागू करना पड़ा, जिसने आदिवासियों की जमीन पर बाहरी लोगों के कब्जे को रोक दिया और पारंपरिक हक को कानूनी संरक्षण दिया।

सर्व आदिवासी समाज के जिला अध्यक्ष जग्गूराम तेलामी ने सभा में कहा कि बिरसा मुंडा ने हमें सिखाया कि अपनी जमीन, अपनी संस्कृति और अपने अधिकारों की रक्षा के लिए संगठित संघर्ष आवश्यक है। वे केवल एक क्रांतिकारी नहीं, बल्कि आदिवासी अस्मिता के प्रतीक हैं।

समाज के ब्लाक अध्यक्ष सीताराम मांझी ने कहा कि हम उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन करते हैं और संकल्प लेते हैं कि उनकी विचारधारा धरती की रक्षा, संस्कृति की रक्षा और जनअधिकारों की रक्षा को आगे बढ़ाएँगे।

सभा को दशरथ कुंजाम,  बलदेव अतरा, रानू सोरी, रतन कश्यप, सत्य प्रेम वेंजम, रामलाल यादव, शिव पुनेम, भावसिंह भास्कर, दसमत पोडियामी ने भी संबोधित किया।

इस दौरान समाज के वरिष्ठ सदस्य सीएस नेताम, कमलेश पैंकरा, बुधराम गावड़े, सरजू भास्कर, सोहन भोगामी, मुर्रा वेट्टी, जोगा माड़वी, दुल्ला कश्यप, रामलाल यादव, चैतुराम हपका, विशु इच्छम, मनधर नाग, सुनील एर्पुडे, मोटू वेट्टी, श्रवण सैंड्रा आदि समाज प्रमुख मौजूद थे।


अन्य पोस्ट