बेमेतरा
गब्दा में जस-झांकी लोक कला महोत्सव
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 नवंबर। जय मां महामाया जस बईहा झांकी परिवार गब्दा द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले जन्मोत्सव महोत्सव के अवसर पर इस वर्ष भी एक दिवसीय जस-झांकी लोक कला महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। कार्यक्रम में भाजपा किसान नेता योगेश तिवारी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए, जिनका ग्रामवासियों और आयोजक मंडल द्वारा पुष्पहार एवं पारंपरिक सम्मान के साथ स्वागत किया गया।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ महामाया के जयघोष एवं रामधुनी के साथ हुई।
पूरे आयोजन में क्षेत्रीय लोक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत जसगीत, झांकी और लोकनृत्यों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। समस्त ग्रामवासियों ने एकजुट होकर आयोजन को सफल बनाने में विशेष योगदान दिया, जिससे पूरा कार्यक्रम उत्साह, श्रद्धा और लोकसम्मिलन का प्रतीक बन गया।
मुख्य अतिथि योगेश तिवारी ने अपने कहा -जस-झांकी लोक कला महोत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि हमारी छत्तीसगढ़ी अस्मिता, परंपरा, आस्था और सामाजिक चेतना का उज्ज्वल दर्पण है। हमारी मिट्टी की खुशबू, हमारी भाषा, हमारी लोकधुनें और हमारी मान्यताएँ है। ये ही हमारी असली पहचान हैं। ऐसे आयोजनों के माध्यम से हम न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक धरोहर को सहेजते हैं, बल्कि आने वाली पीढिय़ों को भी अपनी जड़ों से जुड़े रहने की प्रेरणा देते हैं।
उन्होंने कहा- गांव, समाज और संस्कृति ये तीनों मिलकर हमारी जीवन-शैली और हमारी सभ्यता का आधार बनाते हैं।
जस-झांकी जैसे कार्यक्रम समाज में प्रेम, एकता, सहयोग और सद्भावना को मजबूत करते हैं। यहाँ उपस्थित हर व्यक्ति, हर परिवार और हर संगठन का योगदान इस आयोजन को भव्य और सफल बनाता है। गब्दा ग्राम की एकजुटता और उत्साह वास्तव में जिले के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायी है। तिवारी ने आयोजकों की सराहना करते हुए कहा मैं गब्दा (पिरदा) के समस्त ग्रामवासियों, आयोजक मंडल और युवा साथियों को हृदय से बधाई देता हूँ, जिन्होंने लोक कला और संस्कृति को इतना सुंदर मंच प्रदान किया है। छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित और प्रगतिशील बनाए रखने की यह भावना प्रशंसनीय है। ऐसे प्रयास समाज को दिशा देने वाले और हमारी परंपराओं को विश्व पटल पर आगे बढ़ाने वाले होते हैं। मैं अपील करता हूँ कि हम सब मिलकर अपनी संस्कृति के संरक्षण, संवर्धन और प्रसार में निरंतर प्रयास करते रहें, ताकि हमारी आने वाली पीढिय़ाँ भी अपनी पहचान, अपने संस्कार और अपनी संस्कृति पर गर्व कर सकें।
इस अवसर पर सोनी, चंद्रिका प्रसाद, सूरज कुमार निषाद, शिव कुमार निषाद, द्रोण कुमार निषाद, राज निषाद, मनीष पाठक, सुरेश पाटिल, मोहन निषाद, जनक निषाद, प्रेमलाल निषाद, भागवत निषाद, राजेश साहू, प्रकाश पाटिल, जयश्री जंघेल, रोशन साहू, लक्की निर्मलकर, सोहन सिन्हा, राजू साहू, करण धीवर, गोविन्द कौशिक, अमित निषाद सहित ग्रामवासी शामिल हुए।


