बेमेतरा
80 फीसदी तक खाली बालियां निकलने की शिकायत
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 20 नवंबर। बेमेतरा और बेरला ब्लॉक के किसानों ने निजी सीड्स कंपनी द्वारा ‘नरनारी’ धान बीज के संबंध में किए गए अनुबंध को लेकर शिकायत की है। किसानों का कहना है कि कंपनी की ओर से बेहतर उत्पादन और निश्चित दर पर धान खरीदने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन खेतों में फसल के अपेक्षित परिणाम नहीं मिले।
लगभग 300 एकड़ क्षेत्र में नरनारी धान की खेती करने वाले 30 से अधिक किसानों ने आर्थिक नुकसान का दावा किया है। किसानों ने बताया कि पिछले छह माह में वे मुआवजे की मांग को लेकर जिला प्रशासन और कृषि विभाग से कई बार संपर्क कर चुके हैं। कृषि विभाग ने इस मामले में आगे की जांच के लिए बेरला पुलिस को पत्र भेजा है।
स्टांप पेपर पर अनुबंध
कंपनी ने ग्राम सोढ़, केशडबरी, पहंदा, बावनलाख, हडुवा, मौहाभाठा, निनवा, सल्धा, देवरबीजा सहित अन्य गांवों के किसानों के साथ 100 रुपये के स्टांप पेपर पर अनुबंध किया था। अनुबंध के अनुसार रबी सीजन में प्रति एकड़ 12 से 14 क्विंटल उत्पादन होने का दावा था। फसल तैयार होने पर उपज 8,000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदने का वादा किया गया था।
उत्पादन कम आने पर मुआवजे का आश्वासन
किसानों के अनुसार कंपनी प्रतिनिधि हरि किशन गंगीर ने उत्पादन कम होने की स्थिति में प्रति एकड़ 50 हजार रुपये क्षतिपूर्ति देने की बात कही थी। किसानों ने बताया कि वास्तविक उत्पादन प्रति एकड़ 1 से 2 क्विंटल के बीच रहा। किसान खेलूराम ने बताया कि प्रति एकड़ लगभग 40 हजार रुपये लागत लगी। कई किसानों ने आरोप लगाया कि फसल में लगभग 80 प्रतिशत बालियां खाली (करगा) निकलीं।
किसानों ने लगाई न्याय की गुहार
किसानों ने बीज उत्पादक कंपनी पर कार्रवाई की मांग की है और जिले में कंपनी के उत्पादों पर रोक लगाने की मांग की है। किसानों के अनुसार धमधा क्षेत्र में भी इसी प्रकार की शिकायतें सामने आई हैं।
जांच में सहयोग नहीं-जांच अधिकारी
जांच अधिकारी डॉ. श्यामलाल साहू ने कहा कि उन्हें किसानों की शिकायत प्राप्त हुई है। शिकायत मिलने के बाद कंपनी के प्रतिनिधि बैठक में उपस्थित नहीं हुए और जांच में सहयोग नहीं किया। किसानों का पक्ष सुनने के बाद पुलिस को पत्र भेजा गया है।
बावनलाख निवासी राजलाल बंजारे ने बताया कि उनके 9 एकड़ कृषि रकबे के लिए 2 लाख 16 हजार रुपये का अनुबंध था जिसे छह माह में भुगतान करने की बात कही गई थी। 20 दिसंबर 2024 को अनुबंध होने के बाद 11 माह बीतने पर भी न तो अनुबंध राशि प्राप्त हुई और न ही फसल से लाभ।
कंपनी का दावा- किसानों की उपज खरीदी गई
योजना के आयोजक हरि किशन गंगीर ने कहा कि किसानों की उपज खरीदी जा चुकी है और 85 क्विंटल का भुगतान किया गया है। उन्होंने कहा कि उत्पादन न होने की स्थिति में प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजा देना शेष है।


