बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 21 नवंबर। जिले की सहकारी समितियों में डीएपी खाद की कमी के कारण रबी फसल की बुवाई कर रहे किसानों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समितियों में हो रही आपूर्ति की तुलना में किसानों की मांग बहुत अधिक है। स्थिति यह है कि किसान खाद के लिए अपनी समिति और सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगाकर थक चुके हैं। रबी फसल का सीजन शुरू हुए 45 दिन बीत चुके हैं, लेकिन कई समितियों में डीएपी की कम आपूर्ति के कारण संकट की स्थिति बनी हुई है।
किसानों ने कलेक्टोरेट कार्यालय
पहुंच रखी अपनी बात
कलेक्टर कार्यालय पहुंचे ग्राम कन्हेरा के किसानों और समिति के पदाधिकारियों ने अपनी व्यथा सुनाई। उन्होंने बताया कि रबी फसल सीजन के पहले दिन से ही खाद की कमी बनी हुई है। कन्हेरा समिति से जुड़े ग्राम कन्हेरा, रमपुरा, सुखाताल, अगरी, ओडिय़ा, बनियाडीह और तेन्दो यह प्रभावित गांव है। इन गांवों में 2400 से 2500 किसान हैं, जिनमें से 1700 से 1800 ऋणी (कर्ज लेने वाले) किसान हैं।
खाद न मिलने से किसान नाराज
किसानों की बड़ी संया को देखते हुए समितियों में खाद की सप्लाई बहुत कम है, जिससे किसानों में भारी नाराजगी है। किसानों ने बताया कि खाद न मिलने से नाराज किसान कई बार समिति कर्मचारियों और अध्यक्ष पर गाली-गलौज तक करते हैं, जिससे वे सभी बहुत परेशान हैं। किसानों की इस गंभीर समस्या को देखते हुए, उन्होंने मांग की है कि ग्राम ओडिय़ा के केंद्र में पर्याप्त मात्रा में डीएपी खाद की व्यवस्था तुरंत की जाए। मांग करने वालों में लोकसिंह वर्मा, सत्यनारायण, चैतराम, कलीराम, तिलकराम साहू, राजकुमार, चैतराम सहित अनेक किसान शामिल थे।
जड़ों को करता है मजबूत
जड़ विकास: फॉस्फोरस तत्व पौधों की जड़ों को मजबूत बनाने और उनके शुरुआती विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह बीज के सही से अंकुरित होने में सहायक है। नाइट्रोजन और फॉस्फोरस दोनों मिलकर पौधों को बड़ा करने और उन्हें फलने-फूलने में मदद करते हैं, जिससे फसल की पैदावार अच्छी होती है।
पौधों की नींव करता है तैयार
तिलहनी व दलहन फसल के लिए डीएपी को विशेष रूप से उपयुक्त माना जाता है। डीएपी फसल की बुवाई के समय पौधें की नींव तैयार करने में मदद करता है, इसलिए रबी सीजन की शुरुआत में इसकी कमी सीधे तौर पर फसल की उपज को प्रभावित कर सकती है, जिससे किसानों की चिंता जायज है।
रबी फसलों के लिए क्यों जरूरी
डाई अमोनियम फॉस्फेट, रबी फसलों गेहूं, चना, सरसों आदि की बुवाई के समय उपयोग किया जाने वाला एक जरूरी उर्वरक है। डीएपी में मुख्य रूप से 18 फीसदी नाइट्रोजन और 46 फीसदी फॉस्फोरस पाया जाता है।


