बलौदा बाजार
यूरोपीय देश लातविया से मीलों दूर सुकून की तलाश में पहुंची पर्यटक, नैसर्गिक सुंदरता देख मंत्रमुग्ध
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाज़ार, 24 दिसंबर। छत्तीसगढ़ के वनों की ख़ूबसूरती और जैव विविधता निराली है जिसके आकर्षण से विदेशी पर्यटक भी अछूते नहीं हैं। विगत दिनों यूरोप के लातविया से सुश्री बाइबा कालनीना बलौदाबाज़ार जिले में स्थित बारनवापारा-अभयारण्य पहुंची । सुश्री बाईबा ने यहां प्रकृति के बीच कुछ शांति के पल बिताए। उन्होंने यहाँ वन्यजीवों को नज़दीक से देखा। अभयारण्य में उन्होंने भालू, गौर, कृष्णमृग, सांभर, स्पॉटेड डियर देखे जो अपने प्राकृतिक आवास में बेधडक़ विचरण कर रहे थे।सुश्री बाईबा यहाँ के प्राकृतिक सुंदरता, वातावरण, फ्लोरा फ़ौना और वन्यजीवों और प्रबंधन की सराहना की। उल्लेखनीय है कि वन विभाग द्वारा बारनवापारा अभयारण्य में सुरक्षित एवं सतत इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य किया जा रहा है। यहाँ स्थानीय समुदायों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए पर्यटन, संरक्षण एवं आजीविका तीनों के बीच संतुलन पर विशेष जोर दिया जा रहा है।राज्य शासन और वन विभाग के प्रयासों से प्रदेश के राष्ट्रीय उद्यानों और अभयारण्यों में पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है। अभ्यारण्य में तेंदुआ, भालू, गौर, कृष्णमृग, सांभर, जंगली सूअर सहित अनेक प्रमुख वन्यजीवों को प्राकृतिक आवास में देखने का अवसर मिलता है। साथ ही यहां 200 से अधिक प्रजातियों की पक्षियों की उपस्थिति प्रकृति प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण है। छत्तीसगढ़ का प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य बारनवापारा, जो 1 नवम्बर 2025 से पुन: पर्यटकों के लिए खोला गया है, अब पर्यटकों की पहली पसंद बनता जा रहा है। अपनी समृद्ध जैव विविधता, मनमोहक प्राकृतिक वातावरण और रोमांचकारी सफारी अनुभव के कारण यह अभयारण्य पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर रहा है। पर्यटकों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए इस वर्ष सफारी व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ किया गया है। अभ्यारण्य में प्रवेश हेतु तीन मुख्य गेट — रवान, पकरीद और बरबसपुर से सफारी सुविधा उपलब्ध है। इसके साथ ही विशेष लेपर्ड सफारी जोन भी तैयार किया गया है, जहाँ तेंदुआ दर्शन की संभावनाएँ अत्यधिक हैं और यह जोन पर्यटकों के बीच विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।


