बलौदा बाजार

कन्या महाविद्यालय में आहिल्या बाई होलकर के व्यक्तित्व पर व्याख्यान
17-Oct-2024 2:38 PM
कन्या महाविद्यालय में आहिल्या बाई होलकर के व्यक्तित्व पर व्याख्यान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदा बाजार, 17 अक्टूबर। अहिल्या बाई होल्कर त्रिशाब्दी जन्म जयंती समारोह समिति द्वारा बलौदा बाजार नगर के मिनी माता कन्या महाविद्यालय में आहिल्या बाई होलकर व्यक्तित्व, कृतृत्व एवं नेतृत्व विषय पर व्याख्यान का आयोजन किया गया,  जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध विचारक, चिंतक, सेवानिवृत्ति प्राध्यापक एवं अहिल्या बाई होल्कर त्रिशाब्दी जन्म जयंती समारोह छत्तीसगढ़ प्रांत के सरंक्षक टोललाल वर्मा उपस्थित रहे।

कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. कल्पना उपाध्याय ने किया। मुख्य अतिथि के रूप में किरण वर्मा उपस्थित रही तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में अहिल्या बाई होलकर त्रिशताब्दी जन्म जयंती समारोह के जिला अध्यक्ष जयनारायण केशरवानी उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में सर्व प्रथम अतिथियों

द्वारा महाविद्यालय प्रांगण में स्थित स्वर्गीय मिनी माता जी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया, तत्पश्चात भारत माता और अहिल्या बाई होल्कर के छाया चित्र पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्वलन कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

सर्व प्रथम महाविद्यालय की प्राचार्य कल्पना उपाध्याय ने कन्या महाविद्यालय में देश की गौरवशाली नारीयों पर सतत् आयोजन की भुमिका पर प्रकाश डाला तथा अहिल्या बाई होलकर के जीवन के न्याय प्रियता की चर्चा की। मुख्य अतिथि किरण वर्मा ने नारी के अंदर निहित अंतर, बाह्य शक्ति को जानने की बात करते हुए कहा कि इस माध्यम से हम सभी भी एक आदर्श जीवन बन सकते हैं।

मुख्यवक्ता टोपलाल वर्मा ने अहिल्या बाई होलकर के जीवन प्रसंगों पर प्रकाश डालते हुई उनके बहुमुखी व्यक्तित्व की चर्चा की।

उन्होंने बताया कि वह एक आदर्श नारी, एक न्याय प्रिय प्रशासन संचालिका, धर्म परायण नारी, एक आदर्श बहू, एक आदर्श पत्नी, एक आदर्श माता ऐसे जीवन कि सभी भुमिकाओं में सर्व श्रेष्ठ थी। एक बहुमुखी व्यक्तित्व के साथ उनका कर्तृत्व भी अद्वितीय हैं।

उन्होंने मंदिरों का निर्माण किया, उन्होंने महिला सैन्य शक्ति का गणन किया, उन्होंने शस्त्रागार बनाएं, उन्होंने तीर्थों में कुएं, बावडी, विश्राम गृह, भोजन गृह बनायें, उन्होंने नवीन राजधानी बनायी, उन्होंने आवागमन की सुगमता के लिए मार्ग बनावायें। इसके साथ ही वह कुशल नेतृत्व कर्ता भी थी चाहे एक सेना नायक के रूप में, चाहे शासन की मुखिया के रूप में, चाहे सर्वोच्च न्याय कर्ता के रूप में सभी भुमिका में वह अद्वितीय थी।

प्रो. टोपलाल जी ने आगे छात्र छात्राओं से आह्वान किया कि ऐसे अद्वितीय व्यक्तित्व के गुणों को अपने जीवन में उत्तार कर यदि आज की पीढी आगे बढ़े तो बहुत सम्भावना है कि हम अपनी स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष के पूर्व ही विकसित राष्ट्र के रूप में खड़े होगें आवश्यकता हैं तो केवल ऐसे महापुरुषों के जीवन से प्रेरणा लेकर केवल मैं, मेरा तक समिति न रहकर इसके साथ राष्ट्र का भी चिंतन करने की इस हेतु अपना थोड़ा तन मन धन समर्पित करने की।

कार्यक्रम के अंत में समिति के अध्यक्ष जयनारायण केशरवानी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन सहायक प्राध्यापक रोशनी राकेश ने किया। इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राध्यापक गण, छात्राओं सहित समिति के सचिव हेमंत टिकरीहा, शालीन साहू, नारायण चन्द्राकर सहित नगर के गणमान्य नागरिक भी उपस्थित रहे।


अन्य पोस्ट