बलौदा बाजार
109 सफाई कर्मियों का सालाना 2.4 करोड़ खर्च फिर भी शहर की रैंकिंग दसवीं से 13 पर आई
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार,15 जनवरी। शहर को स्वच्छ सर्वेक्षण की रैंकिंग में देश के पहले पायदान पर पहुंचने के लिए पानी की तरह पैसा बढ़ाया गया। नगर पालिका कर्मचारी व स्वच्छता दीदीयो के वेतन से लेकर वाहनों के डीजल आदि पर हर माह लगभग 35 लाख रुपए तो साल का लगभग 4 करोड़ 20 लाख रुपए खर्च करने वाली नगर पालिका नेशनल रैंकिंग में एक भी पायदान हासिल नहीं कर पाई।
बीते वर्ष टॉप टेन में स्थान बनने वाली नगर पालिका से इस बार भी उम्मीद थी कि देश के 10 सबसे साफ सुथरे शहरों की कैटेगरी में आएगा लेकिन रैंकिंग जारी होने के बाद निराशा हाथ लगी। इस बार 25 30 हजार की आबादी वाले निकायों के कैटेगरी में 13वें स्थान मिला। साफ सफाई पर हर माह करीब 20 लाख रुपए सफाई कर्मियों को वेतन दिया जाता है। सालाना 2.4 करोड रुपए तो साल में इसी पर खर्च हो रहे हैं। नगर पालिका में 21 वार्ड हैं जिन्हें साफ सुथरा रखने के लिए नगर पालिका में एक सफाई निरीक्षक सहित 109 सफाई कर्मियों की लंबी चौड़ी फौज है। इसके बावजूद यह हाल है।
अच्छी रैंकिंग लाने के लिए प्रयास ही नहीं किए
बताया जाता है कि इस बार नगर पालिका के अफसर ने सफाई रैंकिंग के लिए प्रयास ही नहीं किया पहले से जो व्यवस्था थी उसे बनाकर भी नहीं रख पाए। साल भर में ऐसा एक बार भी सामने नहीं आया कि शहर स्वच्छता रैंकिंग में आगे आने के लिए कोई प्रयास कर रहा है। खुले नाले व नालियों में गंदगी बजबजा रही प्लास्टिक कचरा भरा पड़ा है। नगर के मुख्य तालाब जलकुंभियों से आते पड़े हैं यही कारण है कि बीते सालों में पीछे रहने वाले शहरों ने बेहतर किया और वे हमसे आगे निकल गए हैं। शहर में सफाई का बुरा हाल है प्लास्टिक का खूब प्रयोग किया जा रहा है।
इस मामले में भोला सिंह ठाकुर सीएमओ नगर पालिका बलौदाबाजार ने कहा कि नगर में सफाई को लेकर कहीं चूक हुई है व्यवस्था सुधारने के लिए बेहतर प्रयास किया जाएगा।
कचरा फ्री सिटी में बलौदाबाजार शून्य
शहर में कई जगह कचरा दिखता है भरसेला स्थित डंपिंग यार्ड में कचरा का प्रॉपर निस्तारण नियमित नहीं है सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट भी चालू नहीं हुआ। इस कैटेगरी के 1100 अंक में से हमें जीरो मिला है। बलौदाबाजार से भरसेला जाने वाले रास्ते में स्थित नगर पालिका का मणिकंचन केंद्र जहां शहर का पूरा कचरा बेदर्दी और लापरवाही के साथ डंप किया जाता है जहां बड़ी संख्या में मवेशी चारे की तलाश में जानलेवा पॉलिथीन का सेवन कर रहे हैं।
नगर में इन बिंदुओं पर करना था काम
सडक़ो के किनारे कचरा दान रखने और उसे नियमित उठना होता। बाजारों से अतिक्रमण हटाकर सडक़ों का चौड़ीकरण।
तालाब नाले नालियों की विधिवत्त साफ-सफाई। सुलभ शौचायलयों व प्लास्टिक यूरिनलों की नियमित साफ सफाई।
शहर में सबसे अधिक गंदगी पॉलीथिन से होता है मगर पॉलीथिन तीन बैन होने के बाद भी कार्यवाही के अभाव में लोग धड़ल्ले से इसका उपयोग कर रहे हैं। नगर पालिका स्वच्छता प्रभारी मनोज कश्यप के अनुसार 1 हजार किलो पॉलीथिन हर माह शहर के विभिन्न वार्डों से उठाए गए कचरों से निकलती है।
सडक़ पर कचरा नालियां चोक रही
मुख्य सडक़ों पर सफाई तो दिखाई लेकिन सडक़ के किनारे गंदगी पसरी थी। नगर पालिका के सफाई के दावों के बीच नाले नालिया चोक ही रही।


