बलौदा बाजार

छुईहा जलाशय में अब नजर नहीं आते प्रवासी पक्षी
12-Dec-2023 7:05 PM
छुईहा जलाशय में अब नजर नहीं आते प्रवासी पक्षी

औद्योगीकरण व अवैध शिकार की वजह से आमद हुई कम

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार, 12 दिसंबर। जिला मुख्यालय से लगा हुआ ब्रिटिश कालीन छुईहा जलाशय पूर्व में वर्षों में प्राकृतिक एवं पक्षी प्रेमियों के लिए शरद ऋतु में एक हम पर्यटन स्थल हुआ करता था। प्रत्येक वर्ष यहां विदेश समेत भारत के विभिन्न स्थानों से पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों को देखते लोग यहां आया करते थे।

जानकारी के अनुसार पूर्व में जलाशय में यूरोप तिब्बत साइबेरियन मंगोलिया चीन कोरिया जैसे देशों के पक्षियों की आमद होती रहती है, परंतु यहां प्रवासी पक्षियों के सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था न होने तथा जलाशय में पिछले कुछ वर्षों के दौरान हुए निर्माण कार्य औद्योगिकरण जलाशय में पक्षियों के अवैध शिकार व जनपद पंचायत द्वारा जलाशय को मछली पालन हेतु स्व सहायता समूहों को लीज पर दिए जाने के चलते शैन: शैन: यहां पहुंचने वाले पक्षियों की संख्या नगण्य हो चुकी है। यही नहीं अब एक का दुकका प्रवासी पक्षी जलाशय के दूरस्थ किनारो पर ही देखे जा सकते हैं।

आसामाजिक तत्वों के कारण भी संख्या हुई कम

प्रवासी पक्षियों के प्राकृतिक रहवास में जब आप अत्यधिक ठंड व बर्फबारी होती है एवं पक्षियों को भोजन व प्रजनन में दिक्कतें उत्पन्न होती है तो वे प्रवासी पक्षी दक्षिण एशियाई क्षेत्र में स्थित ऐसे जलाशयों में आश्रय लेते हैं। विशेष कर उथले जलाशय में मत्स्याखेट के अतिरिक्त अनेक जलीय वनस्पतियां उनके भोजन हेतु सहज उपलब्ध हो जाती है और छुईहा जलाशय में यहां सभी चीज प्राप्त मात्रा में उत्पन्न है।

छुईहा जलाशय के अलावा भरसेला के जलाशय व अन्य कुछ जलाशयों के उथले होने व पक्षियों के भोजन हेतु जली वनस्पतियों समेत प्रजनन की अनुकूलन स्थिति होने के चलते पूर्व के वर्षों में यूरोप तिब्बत साइबेरियन मंगोलिया यूक्रेन आदि स्थानों से प्रवासी पक्षियों की आमद दर्ज की जा रही है परंतु पिछले चार से पांच वर्षों से जलाशय में पानी की कमी समीप स्थित ग्रामों के कुछ सामाजिक तत्वों द्वारा इन पक्षियों का अवैध शिकार किए जाने की वजह से भी पक्षियों के आवागमन में कमी आई है।

यदि पूर्व के भांति प्रयुक्त परिस्थितियों जलाशय व आसपास के क्षेत्र में निर्मित कर दी जाए तो निश्चित ही शीतकाल में इन प्रवासी पक्षियों की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा सकेगी, क्योंकि यह जलाशय सिंचाई विभाग के अधीन है परंतु इन प्रवासी पक्षियों की रक्षा हेतु सिंचाई विभाग व वन हमले को एक संयुक्त प्रयास करते हुए अवैध शिकार में लिप्त लोगों पर कार्यवाही की आवश्यकता है। इसके अलावा छुईहा टैंक के चारों ओर स्थित शासकीय भूमि में पक्षियों को आकर्षित करने वाले वृछों का रोपण कर दिया जाए तो भी यह वर्ष भर पक्षियों के अन्य प्रजातियों के लिए अनुकूलन स्थान साबित हो सकता है।

आधा दर्जन से अधिक प्रजातियों की होती है आमद

पूर्व में शरद ऋतु प्रारंभ होते ही यहां यूरेशियन कूट काटनटील रेडक्रेस्टड पोचार्ड ट्फेड पोचार्ड गागोर्नी आदि विदेशी पक्षी के अलावा सुदूर भारतीय प्रांतों में ओपन बिल्ड स्टार्ट कॉरपोरेट लिमिटेड एवं ग्रेड का भी आवागमन होता रहता है,परंतु क्षेत्र के व्यवसायीकरण छुईहा जलाशय के आसपास सीमेंट संयंत्रों की स्थापना जलाशय के कैचमेंट एरिया में अतिक्रमण आदि के चलते अब इन पक्षियों के दर्जन भी दुर्लभ हो चुके हैं। जो कि निश्चित ही पक्षियों में रुचि रखने वाले व्यक्तियों के लिए चिंता का विषय है।


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