बलौदा बाजार

कीटनाशकों के उचित प्रयोग के लिए कृषि विभाग ने किसानों के लिए जारी की समसामयिक सलाह
09-Oct-2023 3:28 PM
कीटनाशकों के उचित प्रयोग के लिए कृषि विभाग ने किसानों के लिए जारी की समसामयिक सलाह

बलौदाबाजार, 9 अक्टूबर।  कृषि विभाग द्वारा कीटनाशकों के उचित प्रयोग हेतु किसानों के लिए समसामयिक सलाह जारी किया है। जिले में वर्तमान में खरीफ फसलों की स्थिति अच्छी है तथा कृषकों को भरपूर उत्पादन प्राप्त होगा। फसलो में किट व्याधि की शिकायत भी नगण्य है।रायपुर स्थित कृषि मौसम वेधशाला में दर्ज आंकड़ो के अनुसार इस क्षेत्र में विगत सप्ताह औसतन अधिकतम व न्यूनतम तापमान क्रमश: 32.4 डिग्री सेल्सियस सामान्य से अधिक तथा 24.1 डिग्री सेल्सियस सामान्य से अधिक दर्ज किया गया है। भारत मौसम विज्ञान विभाग रायपुर द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार अनुसार छत्तीसगढ़ के अधिकांश स्थानों में हल्के से मध्यम बादल छाए रहने की संभावना हैं। जिसे ध्यान में रखते हुए कृषको को फसलो में कृषि कार्य का संपादन करना उचित होगा।

जिले के लिए मौसम आधारित कृषि सलाह

जो कृषक धान की खेती कर रहे है तथा धान की फसल पुष्पन अवस्था में हैए यदि उनमें 50: पुष्पन हो चुका है तो नत्रजन की तृतीय किश्त का छिडक़ाव करें। पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर टॉप ड्रेसिंग करनें से धान के दानों की संख्या एवं वजन में वृद्धि देखी गई है। यदि धान में कीट व्याधि का प्रकोप दिख रहा है तो कृषकों द्वारा उसका बचाव निम्नानुसार किया जाना उचित होगा।

बीमारियों के लक्ष्यण एवं नियंत्रण तना छेदक

लक्षण- तना का सुख जाना या बाली सफेद हो जाना।

बचाव- धान फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर फसल का निरीक्षण कर तना छेदक के अंडा समूह को एकत्र कर नष्ट कर देवें स साथ ही डेड हार्ट ;सूखी पत्तीद्ध को खीचकर निकाल देवें। तना छेदक 10: डेड हार्ट या 1 अण्डा समूह या 1 वयस्क कीट प्रति वर्ग मीटर या 30 वयस्क कीट प्रति फिरोमोनट्रेप प्रति सप्ताह होने पर करटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत जीआर 6.8 किग्रा प्रति एकड़ या क्लोरेट्रोनिलीप्रोल 0.4 प्रतिशत जीआर 4 किग्रा प्रति एकड़ छिडकाव करें। उच्च तापमान एवं रिमझिम बारिश के दौरान व्याधि नाशक रसायन का छिडक़ाव नही करना चाहिए।

पत्ती मोडक या चितरी

 लक्षण- पत्तियों का चितरीदार होकर सफेद हो जाना।

बचाव- देरी से बोए गए या रोपाई किये गए खेतो की यह प्रमुख समस्या है। 10 प्रतिशत या इससे अधिक पत्तियों के प्रभावित होने पर ही इस किट का अलग से रोकथाम करें। करटाप हाइड्रोक्लोराइड 4 प्रतिशत जीआर 6.8 किग्रा प्रति एकड़ या क्लोरेट्रोनिलीप्रोल 0.4 प्रतिशत जीआर 4 किग्रा प्रति एकड़ छिडकाव करें।

कटुवा कीट

लक्षण- पत्तियों में छेद होना या बालियों का कट कर खेत में गिर जाना।

बचाव- इस कीट का रोकथाम भी तना छेदक के सामान किया जाना चाहिए.

भूरा व सफेद माहू कीट

लक्षण- चक्कतो में या गोलाई में पौधों का सूख जाना.

बचाव- धान की फसल में माहू कीट की सतत निगरानी करें एवं कीटों की संख्या 10.15 प्रति पौधा हो जाने पर शुरुआती अवस्था में बचाव हेतु मेटाराइजिम एनासोपिलिआई 2 लीटर प्रति एकड़ कीट की या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 60.70 मिली प्रति एकड इमिडाक्लोप्रिड 30. 5 प्रतिशत एससी 40.50 मिली प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करना चाहिए। सिंथेटिक पाईराथ्राईड वर्ग के कीटनाशक जैसे साइपरमेंथिरिन व डेल्टामेंथिरिन दवाओं का उपयोग माहू के प्रकोप को बढ़ा सकता है। अत: इनका उपयोग माहू नियंत्रण में ना करें। माहू कीट के प्रभावी नियन्त्रण हेतु छिडक़ाव के दौरान स्प्रेयर का नोजल पौधें के आधारीय भाग की ओर रखें।

मकड़ी या पेनिकल माईट

लक्षण- धान की बाली में सफेद बदरा व बदरंगा दानों का बनना व तने पर भूरापन।

बचाव- धान की फसल में पेनिकल माईट का प्रकोप दिखने पर इसके निदान हेतु स्पाइरोमेसिफेन 22ण्9 प्रतिशत एससी का 250 मिली प्रति एकड या डायफेनथियूरान 50 प्रतिशत एसपी 250 मिली अथवा प्रोपिकोनाजोल 25 प्रतिशत ईसी का 150 मिली प्रति एकड़ की दर से छिडकाव किया जाना चाहिए।

 झुलसा रोग (ब्लास्ट)

लक्ष्यण रू धान की फसल में रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पडऩाए जो धीरे धीरे बढक़र आँखध्नॉव के सामान बीच में चौड़े एवं किनारों में सकरे हो जाते हैए इन धब्बो के बीच का रंग हल्के भूरे रंग का होता है स

बचाव रू ट्रायसाइक्लोजोल 75.प्रतिशत डबल्यूपी 100 ग्राम प्रति एकड़ या आइसोप्रोथियोलेन 40 प्रतिशत ईसीण् 250-300 मिली प्रति एकड़ छिडक़ाव।

जीवाणु जनित झुलसा (बहरीपान) रोग

लक्षण- पत्ती का किनारे वाला ऊपरी भाग हल्का पीला सा हो जाना तथा पूरी पत्ती मटमैले पीले रंग की होकर पत्रक ;शीथद्ध तक सूख जाना।

बचाव- रोग के लक्षण दिखने पर यदि पानी उपलब्ध होए तो खेत से पानी निकालकर 3.4 दिन तक खुला रखें तथा 25 किलो पोटाश प्रति हेक्ट़ेयर की दर से भुरकाव करें। स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट के साथ टेट्रासाइक्लिन संयोजन 300 ग्राम के साथ कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। यदि आवश्यक हो तो 15 दिन बाद दोहराएं।

शीथ ब्लाइट रोग

  लक्षण-धान के खेत में पानी की सतह के ऊपर पौधों के तनों पर यदि मटमैले रंग के बड़े बड़े धब्बे दिखना तथा यह धब्बे बैगनी रंग के किनारे से घिरे होना।

बचाव - यह रोग आने पर हेक्साकोनाजोल 2 प्रतिशत एससी का 300 मिली या हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत ईसी अथवा एससी का 250- 300 मिली प्रति एकड़ छिडक़ाव करें। आवश्यकता पडऩे पर यह छिडक़ाव 12- 15 दिन बाद पुन: दोहराया जा सकता है। 

लाई फूटना

 

लक्षण- दानो पर लाई फूटना।

बचाव - खड़ी फसल में लाई फुटते दिखते ही हेक्साकोनाजोल 5 प्रतिशत एससी का 250 मिली प्रति एकड़ छिडक़ाव किया जाना चाहिए। उप संचालक कृषि दीपक कुमार नायक के द्वारा कृषको को सलाह दी जाती है की वे खेतों की सतत निगरनी करें व लक्षण दिखने पर उपर्युक्त रोकथाम का उपाय करें। जिससे कीट व्याधि से होने वाले नुकसान से बचा जा सके एवं अधिक से अधिक उपज प्राप्त कर अपनी आय में वृद्धि कर सकें। किसान भाई क्षेत्रीय ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी या कार्यालय वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी से संपर्क कर अन्य जानकारी प्राप्त कर सकते है।


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