बलौदा बाजार
खनिज विभाग पर लग रहा मिलीभगत का आरोप
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 8 अगस्त। जिले में स्थित पत्थर खदानों एवं स्टोन क्रेशर संचालकों की मनमानी से खदानों के आसपास निवासरत ग्रामीण अत्यधिक परेशान हैंं। इन खदानों में पर्यावरण संरक्षण की अनदेखी करते हुए निर्धारित से अधिक क्षमता का विस्फोट किए जाने की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही है, परंतु जिला खनिज विभाग का अमला इसकी अनदेखी करता आ रहा है।
दिलचस्प पहलू है कि जिला खनिज अधिकारी बलौदाबाजार के पास जिले में संचालित पत्थर खदानों की सूची तक नहीं है। इन परिस्थितियों में विभाग की कार्यशैली का अनुमान सहज लगाया जा सकता है।
विदित हो सुहेला व आसपास के क्षेत्रों के अलावा सीमेंट संयंत्र के आसपास स्थित गांव में बड़ी संख्या में पत्थर खदान व स्टोन क्रेशर प्लांट का संचालन किया जा रहा है जिसमें से बहुत से रसूखदार क्रेशर संचालक नियम कायदों को ताक पर रखकर खदान का संचालन कर रहे हैं। इन खदान व क्रेशर संचालकों द्वारा पर्याप्त सुरक्षात्मक उपाय नहीं किए जाने के चलते गिट्टी निर्माण के दौरान उडऩे वाली धूल से लोग अत्यधिक परेशान हैं। वहीं धूल की परत फसलों पर जमने से किसानों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई किसानों की जमीन इस धूल की परत की वजह से धीरे-धीरे बंजर होती जा रही है ग्राम रानीजरौद सुहेला के आसपास स्थित और भी खराब हैं।
सैकड़ों एकड़ जमीन पर पत्थर डालकर बंजर बना दिया
कुछ खदान संचालकों द्वारा सैकड़ों एकड़ जमीन पर खदान से निकलने वाले व्यर्थ पत्थर डालकर उसे बंजर बना दिया गया है। जबकि कुछ संचालक व्यर्थ मिट्टी वह पत्थर को ग्राम के आसपास स्थित बांध चारागाह आदि स्थानों पर डाल रहे हैं इस वजह से मवेशियों के लिए उस गांव में चारागाह तक नहीं बचा है। क्षेत्र में निर्धारित से अधिक गहराई पर खुदाई कर खदानों से पत्थर निकले जाने के चलते 40 से 50 फीट गहरी झीलनुमा संरक्षण संरचना भी बन गई है।
प्रतिदिन तीव्र क्षमता की ब्लास्टिंग किए जाने से आसपास के ग्रामीणों का जीवन भी दूभर हो गया है। खदानों के समीप स्थित कई घरों में ब्लास्टिंग की वजह से दीवारों में दरारें भी आ रही है। शासकीय अमले द्वारा निरीक्षण नहीं किए जाने अथवा ऐसे खदान संचालकों को के कृत्य को नजरअंदाज किए जाने से यह खदान संचालक पट्टे की जमीन के अलावा शासकीय जमीनों की खुदाई भी धड़ल्ले से कर रहे हैं।
नहीं है विस्फोट की तीव्र जांचने के लिए यंत्र
जिला के चूना पत्थर खदानों में विस्फोटक की तीव्रता की जांच हेतु कोई यंत्र खनिज हमले के पास नहीं है। इस संबंध में खदान निरीक्षक बलौदाबाजार भूपेंद्र भक्ति से पूछने पर उन्होंने कहा कि विस्फोट की तीव्रता जांचने का कार्य डायरेक्टर जनरल ऑफ साइंस सेफ्टी द्वारा किया जाता है जिसका क्षेत्रीय कार्यालय बिलासपुर में है परंतु वहां के संबंध में जानकारी नहीं है।
नियमों की अनदेखी
सुहेला क्षेत्र के आसपास और 8-10 ग्रामों में ही दर्जनों पत्थर खदानें हैं, जिसमें रानीजरौद क्षेत्र में ही 15 से 20 खदान स्थित है। खदान लीज पर दिए जाने के दौरान नियम शर्ते तय की गई थी, जिसमें उल्लेख है कि व्यर्थ अथवा रिजेक्ट मिट्टी पत्थर खदान संचालक को अपनी निजी भूमि पर ही रखना होगा परंतु संचालकों ने इस सुरक्षित भूमि पर भी खुद ही कर दिया है और व्यर्थ निकली सामग्री चारागाह व अन्य शासकीय स्थानों पर फेंका जा रहा है। प्रत्येक संचालक को क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण हेतु निर्धारित संख्या में वृक्षारोपण करने के भी निर्देश हैं परंतु अधिकांश पत्थर खदानों में इस नियम का पालन नहीं किया जा रहा है।
ब्लास्टिंग को लेकर भी संचालकों द्वारा नियम शर्तों का उल्लंघन करते हुए विस्फोटक पदार्थ का निर्धारित से अधिक मात्रा में भंडारण किया जा रहा है जबकि ब्लास्टिंग का कार्य विस्फोटक लाइसेंसधारी से कराए जाने की बजाय अकुशल ग्रामीणों को इस कार्य में संलग्न किया गया है जिससे कभी भी गंभीर हादसा घटित हो सकता है।
संचालक को खनिज रियायत नियम (मिनरल कंसेशन नियम )के तहत सुरक्षात्मक दृष्टि से बॉन्ड्री पिलर्स द्वारा सीमांकन भी करना है। सामान्य दिनों में खदान व प्लांट से डस्ट उत्सर्जन के नियंत्रण हेतु नियम जल छिडक़ाव भी करना है। खदान से निकले इस प्रकार के दूषित जल का प्रवाह प्राकृतिक जल स्रोत तालाब नदी नाला में किया जाना भी प्रतिबंधित है परंतु इन नियमों की घोर अनदेखी किया जाना खदान संचालकों एवं खनिज अम्ल के अधिकारियों की मिलीभगत की आशंका को जन्म देता है।
कार्रवाई नहीं रूटीन निरीक्षण-खनिज अफसर
जिला माइनिंग अधिकारी कुंदन बंजारे के कार्यालय पहुंचकर मीडिया ने चर्चा की गई तो उन्होंने बताया कि फिलहाल पिछले 1 वर्ष के दौरान विभाग द्वारा रूटीन के तहत पत्थर खदानों का निरीक्षण किया गया है, परंतु नियमों के उल्लंघन हेतु कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं जब जिला में स्थित पत्थर खदानों की संख्या व सूची मांगी गई तो उन्होंने व्हाट्सएप के माध्यम से सूची भेज देने की बात कही। सोमवार को भी सूची उपलब्ध कराने से वह कतराते रहे।


