बलौदा बाजार
छात्रावास से नदारद अधीक्षक पर कार्रवाई की मांग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 7 अगस्त। जिले के आदिवासी विभाग के छात्रावासों में रहने वाले बच्चे असुरक्षा मं जीवन जीने को मजबूर हैं। इनकी सुरक्षा के लिए अधीक्षक की नियुक्ति की जाती है, लेकिन अधीक्षक ही गायब रहते हंै।
ग्राम पंचायत मरदा के सरपंच ने वहाँ स्थित प्री. मैट्रिक अनु. जाति बालक छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक चोवाराम ध्रुव के तीन महीने से हॉस्टल से अनुपस्थित रहने व छात्रावास की अव्यवस्था के लिए जिम्मेदार पर कार्रवाई करने कलेक्टर में शिकायत आवेदन दिया।
ज्ञात हो कि यह मात्र एक ही हॉस्टल की स्थिति नहीं वरन जिले में ऐसे दर्जनों छात्रावास हैं, जहाँ पर अधीक्षक गायब रहते है। दिलतस्प बात तो यह है कि यहां पदस्थ अधीक्षक बच्चों को चपरासियों के हवाले कर माह में एक दिन पहुंचकर रजिस्टर में दस्तखत कर अपना कर्तव्य पूरा कर लेते हैं। साथ ही माह भर की तनख्वाह भी उठा लेते हैं।
दामाखेड़ा और हथबंध दोनों ही जगह स्थित प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में पदस्थ अधीक्षक अपनी ड्यूटी जिला मुख्यालय में देते है, वहीं पलारी के शासकीय प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास के अधीक्षक भी अपना पूरा कार्यकाल जिला मुख्यालय में व्यतीत करते हंै।
ये दोनों अधीक्षक अपने परिवार सहित बलौदाबाज़ार में ही निवास करते हैं। इसी कारण ऑफिस में कार्य करते है, ताकि हॉस्टल जाने से बच सके। वहीं जिला मुख्यालय में ही स्थित शासकीय प्री मैट्रिक आदिवासी बालक छात्रावास बलौदाबाज़ार एवं शासकीय प्री मैट्रिक अनुसूचित जाति बालक छात्रावास बलौदाबाजार दोनों हॉस्टल को संभाल रहे अधीक्षक भी कर्मचारीयों के भरोसे हॉस्टल को छोडक़र विभाग में ही बैठे रहते हैं।
वहीं भाठागांव स्थित शास पोस्ट मैट्रिक अनु.जाति बालिका छात्रावास का अपना अलग कायदा क़ानून है। वहाँ पर अधीक्षिका द्वारा मे, संचालन के लिए नवीन छात्राओं से तीन हजार रूपये व नवनीकरण छात्राओं से दो हजार रूपये की मांग की जा रही है। यदि बच्चे इतनी रकम दे सकते तो फिर सरकार द्वारा संचालित शासकीय छात्रावासों में रहने की आवश्यकता ही न होती।


