बलौदा बाजार

श्रम अफसरों पर एजेंट के साथ मिलकर राशि गबन करने का आरोप
04-Aug-2023 7:32 PM
श्रम अफसरों पर एजेंट के साथ मिलकर राशि गबन करने का आरोप

 पीड़ित आदिवासी महिलाओं ने की शिकायत

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बलौदाबाजार,  4 अगस्त। आदिवासी महिला हितग्राहियों ने श्रम विभाग के अधिकारियों पर एजेंट के साथ मिलकर राशि गबन करने का आरोप लगाया। बैंक ऑफ बड़ौदा भाटापारा के खिलाफ भी फर्जी खाता खोलने का आरोप लगाया। शिकायतकर्ता तीनों प्रार्थी/हितग्राही महिलाएं आदिवासी समाज की हैं।

 जिला श्रम विभाग बलौदाबाजार के संबंध में लगातार कई हितग्राहियों द्वारा शिकायतें मौखिक रूप से प्राप्त हो रही हैं। इसी कड़ी में एक बड़ा मामला कूटरचना छल कर धोखे से अनुदान राशि गबन करने की शिकायत मुख्यालय के समीप एक ही ग्राम कोलियारी की तीन पीडि़त आदिवासी महिला तीजन बाई ध्रुव, रम्हीन ध्रुव, टिकेश्वरी ध्रुव सभी ग्राम कोलियारी निवासी ने की है।

तीनों पीडि़त महिलाओं ने राज्यपाल, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक एवं उच्च अधिकारियों के समक्ष शपथ पत्र सहित शिकायत पत्र देकर मामले में कार्रवाई करने की मांग करते सहित बताया कि उनके दिवंगत पति के नाम से श्रम विभाग में छत्तीसगढ़ भवन सन्निर्माण योजना के तहत पंजीयन था, जिसके अंतर्गत मृत्यु होने पर मृतक की नॉमिनी को एक लाख रूपये की अनुदान राशि मिलती है।

पति की मृत्यु होने के पर योजना का लाभ लेने पीडि़त महिलाएं अपने-अपने हिसाब से संयुक्त कलेक्टर कार्यालय बलौदाबाजार के जिला श्रम विभाग कार्यालय पहुंची, जहां उनकी मुलाकात श्रम निरीक्षक से हुई। उक्त श्रम निरीक्षक ने पीडि़त महिलाओं को ग्राम रवान निवासी मीना वर्मा से परिचय कराया कि यह श्रम कार्यालय में एजेंट के रूप में कार्य करती हंै और मीना वर्मा ही आपको योजना का लाभ दिला सकती है। श्रम निरीक्षक ने सारे दस्तावेज मीना वर्मा के पास जमा करने को कहा और जैसा मीना वर्मा कहेगी वैसे ही करने को बोले।

बैंक ऑफ बड़ौदा भाटापारा के खिलाफ भी फर्जी खाता खोलने का लगा आरोप

पीडि़तों ने शिकायत पत्र में यह भी बताया कि श्रम अधिकारी के मार्गदर्शन में हमने सारे दस्तावेज मीना वर्मा को दे दिये। कुछ दिनों बाद मीना वर्मा अपनी सहेली रुकमणी वर्मा जो समीप ग्राम करमदा में रहती है उनके यहां हमें बुलाकर ऑनलाईन आवेदन के नाम पर अपने साथ लाये लैपटॉप कंप्यूटर मशीन में अंगूठे का निशान भी लिया था।

पीडि़त महिलाएं जब भी श्रम विभाग के श्रम निरीक्षक एवं एजेंट मीना वर्मा से सम्पर्क कर अनुदान राशि की स्वीकृति के बारे में पूछते थे तो उक्त दोनों ही व्यक्ति कोई न कोई बहाना बना कर हमें वापस भेज देते थे। हाल ही में जब बड़ी मुश्किल मदद के बाद सभी पीडि़तों को ऑनलाईन के माध्यम से पता चला कि दिनांक- 20.10.2021 को यानि 21 माह पूर्व ही सभी की राशि स्वीकृत होकर बैंक ऑफ बड़ौदा शाखा भाटापारा के खाते में चली गई है, जबकि पीडि़तों का कहना है कि हमने कभी भी उक्त बैंक में खाता नहीं खुलवाया।

पीडि़तों के शिकायत पत्र अनुसार वे खुद परेशान हैं कि बिना उनकी सहमति से आखिर बैंक में खाता खुला कैसे ? इस प्रकार की प्रतिक्रिया से अब प्रार्थीगणों को यकीन हो गया है कि श्रम निरीक्षक, एजेंट मीना वर्मा एवं बैंक के अधिकारी/कर्मचारी आदि ने कूटरचना रचकर उनकी राशि गबन की है। जिस पर पीडि़त सभी आदिवासी महिलाओं ने अपराध पंजीबद्ध कर दंडात्मक कार्रवाई सहित योजना की उक्त गबन राशि लौटने की भी मांग शपथ पत्र सहित शिकायत पत्र में लिखित में की है।

उक्त संबंध में जिला श्रम पदाधिकारी आजाद सिंह पात्रे का कहना है कि वे उक्त राशि स्वीकृति के बाद यहां पदस्थ हुए हैं, उनके पूर्व जिला श्रम पदाधिकारी तेजेश चंद्राकर व श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर पदस्थ थे। फिलहाल उनके द्वारा अभी शिकायत पत्र अनुसार जांच कर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है।   वर्तमान श्रम निरीक्षक राकेश वर्मा का कहना है कि मैं बाद में आया हूं, उस दौरान मंडलेश्वर अथवा कोई यादव श्रम निरीक्षक थे। उक्त संबंध में पूर्व श्रम निरीक्षक मनोज मंडलेश्वर का कहना है कि प्रार्थियों को वे निजी तौर से नहीं जानते, मेरा काम सिर्फ ऑनलाईन आये आवेदनों को जांच करके आगे बढ़ाना है, उस दौरान राशि स्वीकृति का अधिकार पूर्व जिला श्रम पदाधिकारी तेजेश चंद्राकर व पूर्व श्रम निरीक्षक महित यादव को था। उक्त संबंध में पूर्व श्रम पदाधिकारी तेजेश चंद्राकर से समाचार लिखे जाने तक मोबाईल के माध्यम से सम्पर्क किये जाने की कोशिश की गई किन्तु उनका मोबाईल नेटवर्क कवरेज से बाहर बता रहा था।


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