बालोद

सोई सरकार को संविदा कर्मचारी ने किया जगाने का प्रयास
18-Jan-2023 3:31 PM
सोई सरकार को संविदा कर्मचारी  ने किया जगाने का प्रयास

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बालोद, 18 जनवरी।
संविदा  कर्मचारी 17 जनवरी को सरकार को जगाने अनूठा प्रदर्शन किया।  कांग्रेस के 2018 में चुनावी जन घोषणापत्र में किए गए  वादे  के बावजूद 4 साल से सरकार ने इन कर्मचारियों के लिए कोई कदम नहीं उठाया है। 
छत्तीसगढ़  सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के बैनर तले सामूहिक हड़ताल के दूसरे दिन सरकार की इस चुप्पी से नाराज होकर कर्मचारियों ने सरकार पर व्यंग्य किया है। जिले में प्रतीकात्मक रूप से सरकार को कुंभकरण के रूप में दर्शाया गया जिसे कर्मचारी जगाने का प्रयास करते रहे वहीं भैंस के आगे बीनबजाकर संविदा कर्मचारियों ने सरकार के रवैए पर सवाल किए।  

 महासंघ के प्रांतीय अध्यक्ष कौशलेश तिवारी/जिला समन्वयक यजेन्द्र कुमार जामुनकर ने बताया कि वर्तमान कांग्रेस सरकार बनने के चार साल बाद भी 2018 के चुनावी जन घोषणापत्र में किए नियमितिकरण के वादे और हमारी मांगे पूरी नहीं की है, जबकि इन 4 वर्षों में हमने लगातार अपनी मांगों से सरकार को अवगत करते आ रहे है।  महासंघ के सह संयोजक प्रवीण ठाकुर ने कहा कि सरकार वादा कर भूल गई है, इस सरकार के समक्ष हम कर्मचारियों की गुहार का कोई असर नहीं हो रहा है, इस  कारण प्रदेश के  संविदा कर्मचारियों में भारी आक्रोश है।

सन्घ के सक्रिय सदस्य योगेश कुमार साहू ने  बताया कि आज सभी साथी सरकार को उनकी वादा को याद दिलाने के उद्देश्य से हड़ताल स्थल पर पूजा अर्चना, हवन, यज्ञ, हनुमान चालीसा का पाठ आदि करते हुए अग्रिम कार्रवाई हेतु कामना किया गया। 
महासचिव ओम प्रकाश साहू ने कहा कि दीगर रा’यों में संविदा कर्मचारियों के भविष्य को लेकर ऐतिहासिक निर्णय लिए जा रहे हैं। 26 जनवरी  को संविदा कर्मचारियों के बारे में यदि सरकार उचित निर्णय नही लेती है तो &0 जनवरी  से 54 विभाग में कार्यरत संविदा कर्मचारी अनिश्चितकालीन आंदोलन में जायेंगे।
महासंघ के प्रवक्ता दिनेश चंद्र खर्कवार ने बताया कि नियमितिकरण की मांग को लेकर 28 जिले के 40 हजार से अधिक संविदा कर्मचारी हड़ताल में शामिल हुए है। 

भैंस के आगे बजाया बीन का चित्रण एवं प्रदर्शनी
 संविदा कर्मचारियों की वर्तमान परिस्थितियों को दर्शाने के लिए भैंस के आगे बिन बजाकर प्रदर्शन किया। इनका कहना है कि न तो 62 वर्ष की नौकरी की सुरक्षा, न ही सही ढंग से वेतन, न ही अनुकम्पा नियुक्त, लेकिन सरकार अपने आपमें मदमश्त है।

 


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