-सरोज सिंह
उत्तर प्रदेश चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी ने शुक्रवार को युवा मेनिफेस्टो जारी किया. इस मेनिफेस्टो को बेरोज़गारी से जोड़ते हुए कांग्रेस ने इसका नाम 'भर्ती विधान' नाम दिया है.
युवाओं पर जारी इस मेनिफेस्टो पर आज विशेष नज़र थी, ख़ास तौर पर उसके कवर पेज को लेकर. ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाओं के लिए कुछ दिन पहले ही कांग्रेस ने विशेष मेनिफेस्टो जारी किया था.
उसके कवर पेज पर 'लड़की हूँ लड़ सकती हूँ' के नारे के साथ एक महिला की तस्वीर थी, जिनका नाम है प्रियंका मौर्य है. उस मेनिफेस्टो के कवर पेज पर आने की वजह से उन्हें कांग्रेस का उत्तर प्रदेश चुनाव का 'पोस्टर गर्ल' कहा जाने लगा.
गुरुवार को प्रियंका ने कांग्रेस का साथ छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया और कांग्रेस पर धोखा देने का आरोप लगाया.
प्रियंका मौर्य ने बीबीसी से बातचीत में कहा है कि वो चाहती हैं कि कांग्रेस उनके चेहरे का इस्तेमाल अपने चुनाव प्रचार में ना करें. उनके वोटबैंक के वोट लेने की लिए उनके चेहरे का इस्तेमाल करना बंद करें और किसी दूसरे मॉडल को इस काम के लिए चुनें.
इस वजह से नज़रें कांग्रेस की युवा मेनिफेस्टो के कवर पेज पर थीं. शुक्रवार को जारी कांग्रेस युवा मेनिफेस्टो के कवर पेज पर एक महिला की तस्वीर तो है, लेकिन वो प्रियंका मौर्य नहीं है. इसकी पुष्टि ख़ुद प्रियंका ने की है.
अब बात प्रियंका मौर्य के कांग्रेस में आने और बीजेपी में जाने की. प्रियंका मौर्य का दावा है कि वो पिछले एक साल से कांग्रेस की सक्रिय सदस्य रही हैं. उत्तर प्रदेश महिला कांग्रेस की उपाध्यक्ष थी. उससे पहले यूथ कांग्रेस की जनरल सेक्रेटरी के तौर पर भी उन्होंने काम किया है.
वो लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा सीट से टिकट माँग रही थी. पार्टी की स्क्रीनिंग कमेटी की आंतरिक सर्वे रिपोर्ट में उस सीट से उनका नाम टॉप पर था, लेकिन पार्टी ने आखिरी वक़्त पर टिकट रूद्र दमन सिंह को दे दिया.
पार्टी की पोस्टर 'पोस्टर गर्ल' होने के नाते वो टिकट नहीं माँग रही, बल्कि अपने काम के आधार पर माँग रही थीं.
बीबीसी से बातचीत में उन्होंने कहा, "कांग्रेस पार्टी केवल महिलाओं की बात करती है, लेकिन मौके पर महिलाओं को उनका हक़ और अधिकार नहीं देती. 'लड़की हूँ लड़ सकती हूँ' केवल एक नारा है, किसी की काबिलियत के हिसाब से कांग्रेस में टिकट नहीं मिलता, केवल पैसे और पहुँच के हिसाब से टिकट मिलता है. महिला होने के नाते मैंने इस बात का विरोध किया, किसी ने मेरा साथ नहीं दिया और इसलिए पार्टी छोड़ दिया."
यहाँ ये जानना ज़रूरी है कि जिस सीट से टिकट ना मिलने के कारण प्रियंका मौर्य ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वॉइन किया है, उस सीट से बीजेपी से भी टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है. उन्हें बीजेपी से टिकट मिलने को लेकर कोई आश्वासन भी नहीं दिया है.
सरोजनीनगर सीट से वर्तमान में बीजेपी विधायक स्वाति सिंह हैं. वो इस बार भी इस सीट से अपनी दावेदारी पेश कर रही हैं और उनके पति भी उसी सीट से टिकट माँग रहे हैं. स्वाति सिंह मंत्री भी हैं.
कैसे बनीं कांग्रेस की 'पोस्टर गर्ल'
हालांकि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता हिलाल नक़वी ने बीबीसी से बातचीत में प्रियंका के दावों को सीधे तौर पर ख़ारिज किया.
बीबीसी से उन्होंने कहा, "प्रियंका को कांग्रेस से जुड़े केवल एक-दो महीने ही हुए हैं. राजनीति का इनका कोई अनुभव नहीं है. लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा उनकी ज़रूर थी. महिला कांग्रेस में इन्हें कोई पद नहीं दिया गया था. ना ही पार्टी के आंतरिक सर्वे में ये सरोजनीनगर सीट से टॉप दावेदार थी."
कांग्रेस के पोस्टर पर जगह मिलने के सवाल पर हिलाल नक़वी कहते हैं, "पोस्टर पर आम लड़कियों की तस्वीर की ज़रूरत थी. उसके लिए ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि उनका राजनीति से जुड़ा होना ज़रूरी है."
"पोस्टर पर कई दूसरी लड़कियां भी हैं, उनमें से किसी का राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है. जब हम लड़कियों के लिए अपने कैम्पेन की शुरूआत कर रहे थे, तब इनसे सम्पर्क हुआ और उस वक़्त इनको लिया गया था. उसके बाद उनकी बहुत ज़्यादा बात सुनाई नहीं दी. फिर ये पूरा विवाद सामने आया कि उनको टिकट चाहिए था."
क्या पार्टी को उनके टिकट की महत्वाकांक्षा की जानकारी थी? इस सवाल पर हिलाल नक़वी कहते हैं, "व्यक्तिगत तौर पर किसी से कहा हो तो मुझे नहीं मालूम. लेकिन सरोजनीनगर विधानसभा सीट से इन्होंने चुनाव लड़ने के लिए आवेदन ज़रूर दिया था. पार्टी ने हर सीट के लिए सर्वे कराया था, ताकि जीत की संभावना का आकलन करते हुए उम्मीदवारों का चयन किया जा सके. उस रिपोर्ट में प्रियंका का नाम टॉप पर नहीं था."
वो आगे कहते हैं, "पोस्टर पर किसी की तस्वीर आने मात्र से टिकट पर किसी का अधिकार नहीं हो जाता. पोस्टर पर आने के पहले प्रियंका मौर्य को जानता ही कौन था?"
कौन है प्रियंका मौर्य?
32 साल की प्रियंका मौर्य, 4 साल की बच्ची की माँ हैं. ख़ुद को वो ओबीसी समाज का बड़ा चेहरा मानती हैं. उनका पूरा परिवार लखनऊ में ही रहता है. वो पेशे से होम्योपैथिक डॉक्टर हैं. पिछले 5 साल से समाजसेवा कर रही हैं.
कांग्रेस की 'पोस्टर गर्ल' कैसे बनीं? इस सवाल पर उनका दावा है कि कोरोना महामारी के दौरान उन्होंने काफी काम किया जिससे इलाके में उनकी एक पहचान बनी. सोशल मीडिया पर 10 लाख से ज़्यादा फॉलोअर्स हैं. उस पहचान के बाद कांग्रेस ने उनसे सम्पर्क किया था.
उनका ये भी दावा है कि उन्होंने अपना चेहरा चुनाव प्रचार में इस्तेमाल करने की लिखित में इज़ाज़त नहीं दी. जिस दिन कांग्रेस का महिला मेनिफेस्टो जारी हुआ उस दिन उन्हें पता चला कि उनके चेहरा का इस्तेमाल हुआ है. उनके साथ धोखा हुआ है.
प्रियंका मौर्य कहती हैं कि प्रियंका गांधी से केवल एक मुलाक़ात हुई वो भी प्रेस कांग्रेस. (bbc.com)