आठ दिसंबर की शाम सोमारी मुर्मू (बदला हुआ नाम) की ज़िंदगी की कुछ हसीन शामों में से एक थी. उनके पति राकेश सोरेन (काल्पनिक नाम) सोमारी से मिलने उसके मायके घासीपुर (दुमका) आए थे. तब गांव में हटिया लगी थी.
वहां के रासमेला में काफी भीड़ थी. फुटबॉल का मैच हो रहा था. तरह-तरह के खेल और कई दुकानें थीं. सोमारी और राकेश उस मेले में गए. रासलीला देखी. फुटबॉल का खेल देखा. घुघनी-जलेबी खाए और शाम ढलने पर घर वापस आने लगे.
वो अपने घर से बमुश्किल पांच मिनट की दूरी पर थे, तभी गांव के खलिहान के पास पहले से मौजूद युवकों ने उन्हें रोका. राकेश को बंधक बनाया, सोमारी को डराया. अपने कई और दोस्तों को फोन करके वहां बुला लिया. फिर गैंगरेप की उस वारदात को अंज़ाम दिया.
8 दिसंबर की शाम सोमारी की ज़िंदगी की सबसे ख़ौफ़नाक शाम बन चुकी है. करीब एक दर्जन लोगों ने सोमारी के साथ कई बार गैंगरेप किया.
सोमारी ने अपने साथ हुई घटना की पूरी कहानी दुमका कोर्ट में दर्ज कराए अपने बयान में बताई है. इसकी एक प्रति बीबीसी के पास है. इसमें कई बातें वैसी भी हैं, जिन्हें नहीं लिखा जा सकता.
इस बीच झारखंड पुलिस ने उनके साथ गैंगरेप के मुख्य अभियुक्त को गिरफ़्तार कर लिया है. पुलिस ने बताया कि उसने अपना अपराध कबूल कर लिया है और अपने साथियों के नाम-पते भी बता दिए हैं.
दुमका के एसपी अंबर लकड़ा ने बीबीसी को यह जानकारी दी है.
उन्होंने बीबीसी से कहा, "पीड़िता और गैंगरेप में शामिल युवक एक ही गांव (घासीपुर) और एक ही समुदाय (आदिवासी) के हैं. घटना की जगह भी वही गांव है. इस मामले में गिरफ़्तार मुख्य अभियुक्त से हमें कई जानकारियां मिली हैं. हमें लीड मिल चुकी है, इसलिए वारदात में शामिल रहे बाकी लोग भी 1-2 दिन के अंदर गिरफ्तार कर लिए जाएंगे."
"हमने मेडिकल टीम गठित कराकर पीड़िता की दोबारा जांच कराई है. सीआरपीसी की धारा 164 के तहत उनका अदालती बयान भी दर्ज कराया जा चुका है. कई साक्ष्य जुटाए गए हैं. हम इस मामले में जल्दी ही चार्जशीट दाख़िल कर देंगे."
एसपी के मुताबिक, घटना के वक्त सभी युवक शराब के नशे में थे. अधिकतर युवकों की उम्र 20-21 साल की है. इस घटना में 10-11 लोगों की संलिप्तता की बात पता चली है. सीनियर पुलिस अफसरों की टीम इसकी जांच कर रही है. टीम में महिला अधिकारी भी शामिल हैं.
रेप पर राजनीति

झारखंड की उप-राजधानी दुमका में आदिवासी महिला से हुए इस सामूहिक दुष्कर्म के बाद राज्य की हेमंत सोरेन सरकार विपक्ष के निशाने पर है.
विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने रांची और दुमका में धरना देकर सरकार पर महिलाओं की सुरक्षा पर लापरवाह रहने के आरोप लगाए हैं.
वहीं सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने कहा है कि यह सामूहिक चिंतन का विषय है, न कि राजनीति का.
बीजेपी का आरोप
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने रांची में प्रेस कांफ्रेस कर हेमंत सोरेन की सरकार पर अपराधियों को संरक्षण देने के आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि "दुमका गैंगरेप जैसी घटनाएं राज्य में क़ानून-व्यवस्था की स्थिति का बयान कर रही हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं, क्योंकि गृह मंत्रालय उनके पास है."
वहीं इस घटना को लेकर दुमका में धरने पर बैठीं पूर्व मंत्री और बीजेपी की नेता डा लुईस मरांडी ने कहा कि "मौजूदा सरकार के एक साल के कार्यकाल के दौरान दुष्कर्म की 1300 से भी अधिक घटनाएं घटी हैं. यह भयावह स्थिति है, जब कोई सरकार महिलाओं को सुरक्षा नहीं दे पाए."
उन्होंने कहा, "दुमका में भी इससे पहले कई और घटनाएं हुई हैं, लिहाज़ा हम इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं. सभी आरोपियों को तत्काल गिरफ़्तार कर जेल भेजा जाना चाहिए. इसकी सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में कराई जाए, ताकि पीड़िता को जल्दी न्याय मिल सके."
जेएमएम का तर्क

राज्य में सत्तारूढ़ जेएमएम के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि बीजेपी को ऐसे मामलों में राजनीति से परहेज करना चाहिए. यह सामाजिक समस्या है न कि राजनीतिक मुद्दा.
उन्होंने मीडिया से कहा, "हमें ऐसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार वजहों की तलाश करनी होगी. चिंतन करना होगा. इसमें समाज के हर वर्ग की सहभागिता की जरूरत है. खासकर बुद्धिजीवियों, सामाजिक संगठनों और सोशल एक्टिविस्ट्स को आगे आना होगा. तब जाकर ऐसे मामलों पर पूरी तरह काबू पाया जा सकेगा."
"बची बात सरकार की, तो ऐसे प्रत्येक मामले में पुलिस ने निर्णायक कार्रवाई की हैं. अपराधियों को जेल भेजा गया है. दुमका मामले में भी पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है. ऐसे संवेदनशील मामलों में बीजेपी नेताओं को अनर्गल बयानबाज़ी नहीं करनी चाहिए."
क्या कहते हैं आंकड़े
झारखंड पुलिस की वेबसाइट के मुताबिक़ साल 2020 में जनवरी से सितंबर के बीच राज्य में रेप या गैंगरेप की कुल 1359 घटनाएं दर्ज कराई गई हैं. जबकि साल 2019 में इन्हीं महीनों (जनवरी से सितंबर) में दुष्कर्म के कुल 1350 मामले दर्ज कराए गए थे.
पिछले साल दुष्कर्म की कुल 1693 घटनाएं घटी थीं. झारखंड में हाल के वर्षों में दुष्कर्म की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं.
बीजेपी की पूर्ववर्ती रघुबर दास सरकार के कार्यकाल के दौरान साल 2015 से 2019 के बीच दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म के कुल 6896 मामलों की पुलिस रिपोर्टें दर्ज कराई गईं.
इस दौरान साल 2016 में 2015 के मुकाबले दुष्कर्म के मामलों में मामूली कमी आई, लेकिन साल 2016 के बाद से मामले लगातार बढ़ते रहे हैं. इनमें से अधिकतर मामलों में अभियुक्त, पीड़िता की पहचान के ही रहे हैं.
आदिवासी समाज में बढ़े रेप के मामले
हाल के वर्षों में कई ऐसी घटनाएं सुर्खियों में रही हैं, जब आदिवासी महिलाओं से रेप के अभियुक्त भी आदिवासी ही निकले. इनमें से कुछ ने प्रेम प्रसंग में बदला लेने के लिए, तो कुछ ने शराब के नशे में ऐसी वारदातों को अंज़ाम दिया. ऐसे लोगों का कोई पुराना आपराधिक इतिहास भी नहीं रहा था.
दुमका के चर्चित कवि और जनमत शोध संस्थान के सचिव अशोक सिंह का मानना है कि यह ट्रेंड आदिवासियों के लिए चिंता का विषय है क्योंकि आदिवासी समुदाय में ऐसी विकृतियां पहले नहीं थीं.

घटनास्थल
अशोक सिंह ने बीबीसी से कहा, "आदिवासी युवकों में शराब पीने की लत और मोबाइल फोन पर उपलब्ध पोर्न सामग्री ऐसे मामलों की जड़ में है. ऐसे अधिकतर अभियुक्त कॉलेज की पढ़ाई नहीं कर पाए. वे उन महिलाओं को शिकार बनाते हैं, जो अपेक्षाकृत कमजोर हैं. गरीब हैं."
"ऐसी घटनाएं हाट-बाज़ार या मेले से आते वक्त घटित होती हैं. वे अपने पास-पड़ोस की लड़कियों को शिकार बनाते हैं. कई दफ़ा दुष्कर्म की घटनाएं प्यार में बदला या आदिवासी लड़की द्वारा गैर-आदिवासी लड़के से प्रेम या दोस्ती के प्रतिशोध में भी होती हैं. आदिवासी समाज में पहले से जारी स्वशासन व्यवस्था का कमज़ोर होना भी इसके लिए जिम्मेदार कारणों में शामिल है." (bbc)